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Daily-current-affairs / 08 Oct 2024

“आम जनता के लिए एआई साक्षरता: एआई किस तरह भारत के शैक्षिक परिदृश्य को आकार दे रहा है”: डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

हाल ही में सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन (CSF) ने गूगल के सहयोग से "AI समर्थ" नामक एक महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आगामी चार वर्षों में भारत में पाँच मिलियन से अधिक छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) साक्षरता प्रदान करना है।

यह पहल शिक्षा क्षेत्र में एआई के समावेश के लिए एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, इसके माध्यम से एआई के प्रति जागरूकता में वृद्धि और इसके जिम्मेदार उपयोग को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा हैं।

एआई समर्थ पहल का उद्देश्य:

  • शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए AI साक्षरता अत्यंत आवश्यक है। सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन (CSF) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से यह पता चला है कि कम आय वाले परिवारों के बच्चे भी तकनीकी क्षेत्र में कदम रख रहे हैं। AI समर्थ का मुख्य उद्देश्य इन बच्चों को सिर्फ उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि सक्रिय निर्माणकर्ता बनाना है।
  • यह विशेष रूप से सरकारी और कम शुल्क वाले निजी स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि वंचित समुदाय सीखने और विकास के लिए एक उपकरण के रूप में AI का उपयोग करने में सक्षम हों।

स्कूलों में एआई साक्षरता को संबोधित करना:

  • आईबीईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2020-21 में उच्च शिक्षा में 41.38 मिलियन छात्र नामांकित थे और भारत में ऑनलाइन शिक्षा बाजार का आकार 2021-2025 के दौरान 2.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की संभावना है।
  • एआई समर्थ का उद्देश्य छात्रों को एआई साक्षरता में जागरूकता, समझ, अनुप्रयोग और विकास के चार चरणों के माध्यम से आगे बढ़ाना है।
  • शिक्षा में एआई का समावेश पारंपरिक शिक्षण विधियों में सुधार करता है और छात्रों की जरूरतों के अनुसार सामग्री को अनुकूलित करता है।
  • एआई-संचालित स्वचालन ने शिक्षकों के प्रशासनिक बोझ को भी कम कर दिया है, जिससे वे सलाह और शिक्षण पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
  • एआई के जरिए खेल तत्वों को शिक्षा में शामिल करने से सीखने की प्रक्रिया को अधिक रोचक बनाया जा रहा है। शिक्षा में गेमिफिकेशन का वैश्विक बाजार 2025 तक 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें 32% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) देखी जा रही है।

 

चुनौतियों पर काबू पाना:

  • भारत की शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर एआई साक्षरता को लागू करने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ सामने रही हैं, जिसमें 1.5 मिलियन स्कूलों और 265 मिलियन छात्रों की संख्या शामिल है। सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन (CSF) भारतीय छात्रों और शिक्षकों की ज़रूरतों के हिसाब से एक व्यापक एआई पाठ्यक्रम और ओपन-सोर्स सामग्री लाइब्रेरी विकसित करके इन चुनौतियों का समाधान करने की योजना बना रहा है।
  • एआई शिक्षा में एक बड़ी चुनौती तकनीकी बदलाव की तेज़ी है, क्योंकि एआई लगातार विकसित हो रहा है तथा इसमें  समानता, सुरक्षा और नैतिक उपयोग के मूल सिद्धांत को लागू करने की चुनौती हैं।
  • ऐसी चिंताएँ हैं कि छात्र एआई उपकरणों पर अत्यधिक निर्भर हो सकते हैं, जो संभावित रूप से वास्तविक सीखने और आलोचनात्मक सोच में बाधा डाल सकते हैं। चैटजीपीटी जैसे प्लेटफ़ॉर्म की उपलब्धता के साथ, कुछ लोग असाइनमेंट पूरा करने के लिए एआई का उपयोग कर सकते हैं, जिससे शैक्षणिक बेईमानी का जोखिम बढ़ जाता है।
  • वर्तमान एआई उपकरण पूरी तरह से समावेशी नहीं होते हैं ,इनमें सांस्कृतिक विविधता का अभाव पाया जाता है।
  • एक और महत्वपूर्ण जोखिम डेटा सुरक्षा और छात्रों की गोपनीयता के साथ संभावित समझौता है, विशेष रूप से इन उभरती प्रौद्योगिकियों के खिलाफ मजबूत सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति में।

 

एआई और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में सरकारी पहल:

भारत सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को भविष्य की आर्थिक वृद्धि, रोजगार और नवाचार के लिए एक प्रेरक शक्ति के रूप में मान्यता दी है। विभिन्न क्षेत्रों में एआई की क्षमता का दोहन करने के लिए कई पहल शुरू की गई हैं, साथ ही तकनीकी क्रांति के लिए कार्यबल को तैयार किया जा रहा है।

  • फ्यूचर स्किल्स प्राइम पहल: यह कार्यक्रम एआई, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स, बिग डेटा, इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स  और साइबर सुरक्षा जैसे 10 उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में आईटी जनशक्ति को प्रशिक्षित करने और उनके कौशल को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य देश को वैश्विक प्रौद्योगिकी परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बनाए रखना है।
  • विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना:  यह योजना इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन, मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम), आईटी और एआई क्षेत्रों में पीएचडी की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है। यह अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • युवाओं के लिए जिम्मेदार एआई : 30 जुलाई, 2022 को लॉन्च की गई यह पहल सरकारी स्कूलों के छात्रों की समावेशिता पर जोर देते हुए भारत के कुशल कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए सशक्त बनाती है।
  • युवा (युवा उन्नति और विकास के लिए एआई) कार्यक्रम:  यह कार्यक्रम कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों को एआई और सामाजिक कौशल में प्रशिक्षित करता है, जिसमें कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पर्यावरण और कानून जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  •  राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020: यह नीति पाठ्यक्रम में एआई को एकीकृत करने के महत्व पर जोर देती है। इसके अनुरूप  केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2019 में अपने संबद्ध स्कूलों में एआई की शुरुआत की ताकि कम उम्र से ही एआई दक्षता को बढ़ावा मिल सके।
  • नीति आयोग की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय रणनीति (एनएसएआई): यह रणनीति एआई अनुप्रयोगों के लिए पाँच प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित करती है: स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट शहर और बुनियादी ढाँचा, और स्मार्ट गतिशीलता एवं परिवहन। इन क्षेत्रों को सामाजिक चुनौतियों को हल करने, उत्पादकता में सुधार करने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में एआई से सबसे अधिक लाभ होने की उम्मीद है।

 

आगे की राह:

AI का जिम्मेदार उपयोग महत्वपूर्ण है। शैक्षणिक संस्थानों को ऑडियो और वीडियो मूल्यांकन का उपयोग करने सहित AI-आधारित धोखाधड़ी जैसे जोखिमों को कम करने के लिए सक्रिय रणनीति अपनानी चाहिए। व्यक्तिगत सीखने पर ध्यान केंद्रित करके, शिक्षण पद्धतियों को बढ़ाकर और क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करके, AI समर्थ में भारत के शैक्षिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता है।

निष्कर्ष:

"एआई समर्थ" डिजिटल डिवाइड को पाटने और यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है कि एआई साक्षरता भारत के सबसे वंचित समुदायों तक पहुँचे। छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को एआई ज्ञान से सशक्त करके, इस पहल का उद्देश्य एक प्रगतिशील शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जो भारत के भावी कार्यबल के विकास में योगदान करे और शिक्षा में एआई के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा दे।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

स्कूली पाठ्यक्रम में एआई को एकीकृत करने के संभावित लाभों और जोखिमों का गंभीरता से आकलन करें। सरकार और शैक्षणिक संस्थान एआई-संचालित शिक्षा के लाभों को अधिकतम करते हुए अकादमिक बेईमानी जैसे जोखिमों को कैसे कम कर सकते हैं?

स्रोत: पीआईबी