संदर्भ:
- भारत में कई स्थानों पर हाल ही में हुई आगजनी घटनाओं ने भारतीय अग्नि सुरक्षा विनियमों के कार्यान्वयन में व्याप्त कमियों को उजागर किया है, जिससे सख्त प्रवर्तन और अनुपालन की आवश्यकता पर बल दिया गया है। 25 मई को, गुजरात के राजकोट में एक गेमिंग केंद्र में लगी आग की घटना में कम से कम 32 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। उसी दिन, दिल्ली के एक नवजात शिशु देखभाल अस्पताल में भीषण आग लगने से सात शिशुओं के निधन का समाचार प्राप्त हुआ। ये घटनाएं सार्वजनिक स्थानों पर अग्नि सुरक्षा उपायों के क्रियान्वयन के महत्व को रेखांकित करती हैं।
राजकोट गेमिंग सेंटर हादसा:
- 25 मई की शाम को गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेम जोन में लगी आग एक भयावह घटना थी। धातु के फ्रेम और चादरों से बने ढांचे के माध्यम से आग तेजी से फैल गई, जिससे कई बच्चों सहित पीड़ित अंदर फंस गए। इस आपदा के जवाब में, दो जांच शुरू की गईं: एक राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा और दूसरी राजकोट पुलिस द्वारा। इसके अतिरिक्त, गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त और नगर आयुक्त सहित प्रमुख अधिकारियों का तबादला कर दिया। कई नगरपालिका अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और गेम जोन संचालक सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
नवजात शिशु देखभाल अस्पताल में लगी आग:
- इसी दिन, दिल्ली के विवेक विहार में न्यू बॉर्न बेबी केयर अस्पताल में लगी आग में सात नवजात शिशुओं की दुखद मौत हो गई। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि सुविधा में कई ऑक्सीजन सिलेंडरों की मौजूदगी ने आग को और भयावह बना दिया। घटना के बाद अस्पताल के मालिक और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया। राजकोट और दिल्ली दोनों शहरों में लगी आग ने अग्नि प्रमाणपत्र और अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी करने सहित अधिकारियों द्वारा स्पष्ट अवैधताओं को दूर करने की उपेक्षा के बारे में महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं।
भारत में अग्नि सुरक्षा नियम:
- भारत में अग्नि सुरक्षा का नियम मुख्य रूप से आदर्श भवन उप-विधि, 2016 और राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी) द्वारा निर्धारित किया जाता है। ये नियम अग्नि सुरक्षा और अन्य सुरक्षा आवश्यकताओं को व्यापक रूप से रेखांकित करते हैं, जिन्हें लागू करने का दायित्व राज्य सरकारों का होता है। इन कानूनों के अनुसार, राजकोट गेम जोन जैसी संरचनाओं, जिन्हें सभा भवन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, को सख्त अग्नि सुरक्षा मानदंडों का पालन करना चाहिए। सभा भवनों को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें वे स्थान शामिल हैं जहां विभिन्न प्रयोजनों के लिए 50 या उससे अधिक लोग इकट्ठा होते हैं, जैसे थिएटर, रेस्टोरेंट,मनोरंजन केंद्र आदि।
- अस्पतालों और अन्य संस्थागत भवनों के लिए एनबीसी के तहत अपने विशिष्ट नियम हैं। सितंबर 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अग्नि सुरक्षा के लिए तृतीय-पक्ष प्रत्यायन और अग्नि प्रतिक्रिया योजना के कार्यान्वयन को अनिवार्य करते हुए दिशानिर्देश जारी किए थे। इस सन्दर्भ में 49 फीट या उससे अधिक ऊंचाई वाले भवनों और विभिन्न श्रेणियों वाले भवनों के लिए, अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए ये नियम अनिवार्य हैं।
- राष्ट्रीय विनियमों के अलावा, राज्यों के अपने कानून भी होते हैं। उदाहरण के लिए, गुजरात के व्यापक विकास नियंत्रण विनियम 2017 में अस्थायी संरचनाओं के लिए भी मुख्य अग्निशमन अधिकारी की राय की आवश्यकता होती है। साथ ही ये विनियम यह भी अनिवार्य करते हैं, कि सभी भवन अग्निशमन और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2013 के तहत अग्निशमन प्राधिकरण द्वारा निर्धारित अग्नि रोकथाम और सुरक्षा मानकों को पूरा करें। हालांकि, राजकोट गेम जोन के मामले में, यह आरोप है, कि संरचना को इन विनियमों से बचने के लिए ही बनाया गया था।
अग्नि सुरक्षा में लापरवाही पर न्यायिक प्रतिक्रिया:
- भारतीय अदालतों ने ऐतिहासिक रूप से अग्नि सुरक्षा में लापरवाही के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। सबसे चर्चित मामलों में से एक 1997 का दिल्ली का उपहार सिनेमा हादसा है, जहां आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। सिनेमा के मालिक सुशील और गोपाल अंसल को लापरवाही और सबूतों से छेड़छाड़ का दोषी पाया गया था। अदालत ने उन्हें ढांचागत बदलावों और सुरक्षा उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसने मरने वालों की संख्या को बढ़ा दिया था। इस मामले ने संपत्ति मालिकों और नियामक प्राधिकरणों को सुरक्षा में चूक के लिए जवाबदेह ठहराने की न्यायपालिका की इच्छा को रेखांकित किया।
- राजकोट में आग लगने के बाद गुजरात हाईकोर्ट की स्वत: संज्ञान कार्रवाई अग्नि और भवन कानूनों को लागू करने पर न्यायपालिका के निरंतर फोकस का संकेत देती है। अदालत की जांच से राज्य में अवैध रूप से मनोरंजन सेवाएं देने वाले कई स्थानों का पता चला है। अदालत को सूचित किया गया था कि गुजरात अनधिकृत विकास नियमितीकरण अधिनियम, 2022 का इस्तेमाल इनमें से कुछ स्थानों द्वारा नियमितीकरण के लिए आवेदन करने के लिए किया गया था, भले ही वे सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते थे।
कार्यान्वयन और अनुपालन की आवश्यकता:
- राजकोट और दिल्ली की आगजानी घटनाएं अग्नि सुरक्षा नियमों के सख्त कार्यान्वयन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। मौजूदा कानूनों के बावजूद, इन नियमों के व्यावहारिक कार्यान्वयन में अक्सर प्रशिक्षित कर्मियों और पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी बाधा बनती है। उदाहरण के लिए, गुजरात सरकार ने स्वीकार किया है कि कई अस्पतालों और स्कूलों के पास वैध अग्निशमन अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं हैं, और इसके लिए रसद संबंधी चुनौतियों का हवाला दिया है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार केवल 2022 में, वाणिज्यिक भवनों में 241 और सरकारी भवनों में 42 आग लगीं, जिनमें 257 लोगों की मौत हुई। ये आंकड़े भवन संहिता और आदर्श भवन उप-विधियों में उल्लिखित अग्नि सुरक्षा प्रावधानों के कठोर कार्यान्वयन की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इसके लिए राज्य और प्रवर्तन एजेंसियों को जवाबदेह बनाना भविष्य की त्रासदियों को रोकने के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष:
- राजकोट और दिल्ली में हुई आग की त्रासदी ने भारत में अग्नि सुरक्षा अनुपालन की दयनीय स्थिति को उजागर किया है। इन घटनाओं ने न केवल जानमाल की अपार क्षति की है, बल्कि अग्नि सुरक्षा नियमों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण कमियों को भी उजागर किया है। भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए, मौजूदा कानूनों के कार्यान्वयन को सख्त करना, संपत्ति मालिकों और नियामक निकायों की पूर्ण जवाबदेही सुनिश्चित करना और प्रभावी अग्नि सुरक्षा प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण को बढ़ाना अनिवार्य है। केवल इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक ठोस प्रयास के माध्यम से ही सार्वजनिक भवनों और स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
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स्रोत - द हिंदू