संदर्भ
मेरिटोक्रेसी से आशय उस विचार या अवधारणा से है जो यह मानता है की व्यक्तियों को सामाजिक स्थिति के बजाय अपनी क्षमताओं और उपलब्धियों के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए। यद्यपि यह विचार लंबे समय से बहस का विषय रहा है।
माइकल यंग, माइकल सैंडल और एड्रियन वूल्ड्रिज सहित विभिन्न विचारकों ने इस अवधारणा का गहन अध्ययन किया है प्रत्येक ने इसके गुणों और कमियों पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किये हैं । जैसे-जैसे समाज पारंपरिक योग्यता प्रणालियों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभाव बढ़ रहा है वैसे-वैसे योग्यता की हमारी समझ का पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना करना अनिवार्य होता जा रहा है।
परंपरागत योग्यतावाद की आलोचनाएँ
● माइकल यंग का व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण:
अपनी व्यंग्यात्मक कृति "द राइज़ ऑफ़ द मेरिटोक्रेसी" में, माइकल यंग भविष्य के समाज का एक भयावह चित्रण करते हैं, जहाँ सामाजिक वर्ग पूरी तरह से बुद्धि और प्रयास से निर्धारित होता है, जिससे सामाजिक स्तरीकरण का एक नया रूप सामने आता है। यंग का आलोचनात्मक दृष्टिकोण योग्यता का एकमात्र मापदंड के रूप में मानकीकृत परीक्षणों और शैक्षिक उपलब्धियों पर अत्यधिक निर्भरता के संभावित खतरों को उजागर करता है।
● माइकल सैंडल का नैतिक दृष्टिकोण:
इसी तरह, माइकल सैंडल तर्क देते हैं कि योग्यतावाद सफल लोगों में हकदारी की भावना को बढ़ावा दे सकता है जबकि पीछे छूटे लोगों में असंतोष उत्पन्न कर सकता है जिससे अंततः सामाजिक सामंजस्य कमजोर हो सकता है। सैंडल की आलोचना योग्यता प्रणालियों के नैतिक और सामाजिक प्रभावों तथा सामाजिक प्रगति के लिए अधिक समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
● योग्यता की अवधारणा को चुनौतियाँ:
उत्तर-संरचनावादी योग्यता की अवधारणा को इस सवाल के माध्यम से चुनौती देते हैं कि इसे कौन परिभाषित करता है और इसे कैसे मापा जाता है। उनका तर्क है कि योग्यता सामाजिक रूप से निर्मित होती है और सत्ता में बैठे लोगों के पूर्वाग्रहों को दर्शाती है जिससे मौजूदा असमानताएं कायम रहती हैं। यह दृष्टिकोण योग्यता प्रणालियों की व्यक्तिपरक प्रकृति और अंतर्निहित शक्ति गतिकी की गंभीर परीक्षा पर जोर देता है।
● एड्रियन वूल्ड्रिज का व्यावहारिक दृष्टिकोण
एड्रियन वूल्ड्रिज सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देने में योग्यतावाद की क्षमता को स्वीकार करते हैं लेकिन इसके अनपेक्षित परिणामों जैसे एक नए कुलीन वर्ग के निर्माण के बारे में भी चेतावनी देते हैं। वूल्ड्रिज इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए सुधारों का समर्थन करते हैं जिसमें वंचित छात्रों के लिए शिक्षा तक पहुंच में सुधार और तकनीकी शिक्षा को सफलता के मार्ग के रूप में बढ़ावा देना शामिल है।
परंपरागत योग्यतावाद की कई आलोचनाएँ हैं जो इसकी नैतिकता, निष्पक्षता और व्यावहारिकता पर प्रश उठाती हैं। इन आलोचनाओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है ताकि हम एक ऐसी व्यवस्था बना सकें जो सभी के लिए अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी हो।
कृत्रिम बुद्धि (AI) का योग्यतावाद पर प्रभाव
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के आगमन ने योग्यतावाद की अवधारणा को और जटिल बना दिया है। AI पारंपरिक रूप से मानवीय योग्यता के आधार को चुनौती देता है। यह मनुष्यों से भी बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम गैर-मानवीय संस्थाओं को प्रस्तुत करता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से उत्पन्न जातिलताएं :
● गैर-मानवीय योग्यता का उदय: AI ऐसे कार्यों को पूरा करने और निर्णय लेने में सक्षम हैं, जो पारंपरिक रूप से मानवीय क्षमता के दायरे में माने जाते थे। यह पारंपरिक योग्यता मापदंडों जैसे शैक्षणिक डिग्री या मानकीकृत परीक्षणों की प्रासंगिकता को प्रश्न में खड़ा करता है।
● नौकरी बाजार का ध्रुवीकरण: AI स्वचालन कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित कर सकता है, साथ ही कई नौकरियों को विस्थापित भी कर सकता है जिससे सामाजिक-आर्थिक असमानता बढ़ा सकती है। साथ ही AI का आगमन प्रौद्योगिकी तक पहुंच को प्राथमिकता देता है, जिससे AI टूल तक पहुंच रखने वाले व्यक्तियों को उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं से परे महत्वपूर्ण लाभ मिलता है।
AI उन्नति के परिणाम
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में प्रगति ने समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित किया है जिसमें योग्यता और रोजगार की अवधारणाएं भी शामिल हैं। AI के विकास ने कुछ महत्वपूर्ण परिणामों को जन्म दिया है, जिनमें से कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक हैं।
सकारात्मक परिणाम:
● कार्यक्षमता में वृद्धि: AI कई कार्यों को स्वचालित रूपसे कर सकता है, जिससे उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि होती है। यह मानव श्रमिकों को रचनात्मकता, समस्या-समाधान और सामाजिक-भावनात्मक कौशल जैसे कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मुक्त कर सकता है।
● नए अवसरों का निर्माण: AI नए उद्योगों और नौकरियों का निर्माण कर सकता है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।
● समावेश और समानता: AI का उपयोग उन लोगों को सशक्त बनाने के लिए किया जा सकता है जो विकलांग हैं या जिनके पास पारंपरिक शिक्षा या योग्यता नहीं है।
नकारात्मक परिणाम:
● नौकरी विस्थापन: AI कुछ नौकरियों को स्वचालित कर सकता है जिससे बेरोजगारी और सामाजिक अशांति उत्पन्न हो सकती है।
● पूर्वाग्रह का प्रवर्धन: AI सिस्टम ऐतिहासिक डेटा में मौजूद पूर्वाग्रहों को कायम रख सकते हैं, जिससे भेदभाव और असमानता बढ़ सकती है।
● नैतिक और कानूनी चुनौतियां: AI डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और नैतिकता जैसे मुद्दों को जन्म दे सकता है।
जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए चुनौतियाँ
कई AI एल्गोरिदम की अपारदर्शी प्रकृति और कुछ तकनीकी दिग्गजों में शक्ति का केंद्रीकरण योग्यता आधारित समाज में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करते हैं।
● अस्पष्ट एल्गोरिदम: कई AI एल्गोरिदम अस्पष्ट होते हैं, जिससे उनके निर्णय लेने के आधार को समझना कठिन हो जाता है। इससे व्यक्तियों के लिए यह जानना मुश्किल हो जाता है कि उनके प्रयासों और प्रतिभा का मूल्यांकन किन मापदंडों के आधार पर किया जा रहा है।
● शक्ति का केंद्रीकरण: प्रमुख तकनीकी कंपनियों के पास इन एल्गोरिदमों पर प्रभुत्व होता है, जिससे यह चिंता उत्पन्न होती है कि उनका उपयोग भेदभावपूर्ण या अनुचित तरीके से किया जा सकता है।
● नैतिकता और गोपनीयता: AI एल्गोरिदम नैतिकता और गोपनीयता के मुद्दों को जन्म दे सकते हैं, जैसे कि डेटा का उपयोग कैसे किया जाता है और निर्णय कैसे लिए जाते हैं।
● डेटा का अभाव: AI एल्गोरिदम अक्सर बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षित होते हैं जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होते हैं, जिससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि निर्णय कैसे लिए जाते हैं।
डिजिटल युग में मेरिटोक्रेसी की पुनर्कल्पना
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास ने पारंपरिक योग्यता-आधारित समाज व्यवस्था, जिसे योग्यतावाद के रूप में जाना जाता है, को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, हमें प्रौद्योगिकी और सामाजिक संरचनाओं के बीच संबंध को समझने और उनमें संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है।
● योग्यता की नई परिभाषा: AI के युग में योग्यता की परिभाषा को बदलने की आवश्यकता है ताकि इसमें तकनीकी कौशल, रचनात्मकता, सामाजिक बुद्धिमत्ता और अनुकूलन क्षमता जैसे गुणों को शामिल किया जा सके।
● न्यायपूर्ण और समावेशी प्रणाली: योग्यता प्रणाली को सभी के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी बनाया जाना चाहिए।
● जीवन भर सीखने पर ध्यान: AI के युग में, लोगों को लगातार नई चीजें सीखने और अपने कौशल को अपडेट करने की आवश्यकता होगी। शिक्षा प्रणाली को जीवन भर सीखने को बढ़ावा देने के लिए अनुकूलित किया जाना चाहिए।
● प्रौद्योगिकी तक न्यायसंगत पहुंच को बढ़ावा देना: सभी व्यक्तियों को प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच होनी चाहिए ताकि वे AI द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभों से लाभ उठा सकें।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के रूप में योग्यतावाद का विकास विभिन्न विद्वानों और विचारकों द्वारा आलोचनाओं से आकार लेता रहा है, जिनमें से प्रत्येक ने इसके गुणों और कमियों के बारे में समझ प्रदान की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का आगमन योग्यतावाद की अवधारणा में नई जटिलताओं को प्रस्तुत करता है, जो मानव योग्यता की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है और मौजूदा असमानताओं को बढ़ाता है। हालांकि, यह अधिक समावेशी और न्यायसंगत तरीके से योग्यतावाद को पुनर्परिभाषित करने के अवसर भी प्रस्तुत करता है। AI एल्गोरिदम में पूर्वाग्रहों को संबोधित करके, प्रौद्योगिकी तक पहुंच को बढ़ावा देकर और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देकर, समाज AI द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना कर सकता है और डिजिटल युग में अधिक न्यायपूर्ण योग्यता प्रणाली की ओर प्रयास कर सकता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के आगमन से पारंपरिक योग्यता-आधारित प्रणालियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है विश्लेषण करें। चर्चा करें कि AI प्रौद्योगिकी में प्रगति योग्यता के मूल्यांकन के मापदंड को कैसे प्रभावित करती है तथा सामाजिक सामंजस्य के लिए इसके क्या संभावित परिणाम हो सकते हैं। (10 अंक, 150 शब्द)
- योग्यतावाद के संदर्भ में AI-चालित स्वचालन के कार्यबल ध्रुवीकरण और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं पर प्रभाव का मूल्यांकन करें। AI एल्गोरिदम में निहित पूर्वाग्रहों को दूर करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)