चर्चा में क्यों?
- भारत के चुनाव आयोग ने हाल ही में भारत के 16वें उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, निवर्तमान उपराष्ट्रपति के पद की अवधि की समाप्ति से पहले अगले चुनाव को किया जाना आवश्यक है।
- वर्तमान उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त, 2022 को समाप्त हो रहा है।
भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में
- संविधान का अनुच्छेद 63 कहता है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।
- संविधान के अनुच्छेद 64 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा।
- उपराष्ट्रपति, भारत में दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है जोकि संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह है।
- उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव
- राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधि नियम, 1952 के साथ पढ़े गए संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत भारत के चुनाव आयोग में भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निहित है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए।
- संविधान का अनुच्छेद 66 कहता है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय वोट और सीक्रेट बैलेट पेपर द्वारा होता है।
इलेक्टोरल कॉलेज में शामिल हैं:
- राज्य सभा के 245 सदस्य
- लोकसभा के 543 सदस्य।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में किसी भी विवाद की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है जिसका निर्णय अंतिम होता है।
योग्यताएं
- वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसकी आयु 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
- उसे संसद के उच्च सदन, जिसे राज्य सभा भी कहा जाता है, के चुनाव के लिए पात्र होना चाहिए।
- वह किसी अन्य लाभ के पद पर न हो।
- राष्ट्रपति या उनकी ओर से नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा उपराष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाई जाती है (अनुच्छेद 69)।
उपराष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य
- राज्य सभा के पदेन सभापति होने के कारण, उसे उच्च सदन के संचालन में लोकसभा के अध्यक्ष की तरह ही शक्ति प्राप्त है।
- उपराष्ट्रपति केवल 6 महीने के लिए राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है उसके बीच में चुनाव आवश्यक होता है।
- जब वह राष्ट्रपति की तरह कार्य करता है, तो उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का पालन नहीं करता है। इस अवधि में वह कर्तव्य राज्यसभा के उपसभापति निभाते हैं।
- क्योंकि वह सदन का सदस्य नहीं है इसलिए सामान्यता वह मत का प्रयोग नहीं करता है लेकिन वोट बराबर होने की स्थिति में निर्णायक मत का प्रयोग कर सकता है।
उपराष्ट्रपति को हटाना
- उपराष्ट्रपति को हटाने के मामले में, राष्ट्रपति की तरह औपचारिक महाभियोग की आवश्यकता नहीं होती है।
- उपराष्ट्रपति को उनके पद से राज्यसभा में राज्यसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित एक प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है जिस पर लोकसभा द्वारा सहमति प्रकट की गयी हो।
- राज्य सभा में प्रस्ताव पारित करने से पहले भारत के उपराष्ट्रपति को 14 दिनों का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है।