बजट की प्राथमिकताएं
- निर्मला सीतारमण ने केन्द्रीय बजट की सात प्राथमिकताएं बताईं और कहा कि ये सभी एक-दूसरे की पूरक हैं और ये ‘सप्तऋषि’ के रूप में कार्य कर रही हैं जो अमृत काल में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- समावेशी विकास।
- अंतिम व्यक्ति तक पहुंच।
- अवसंरचना एवं निवेश।
- संभावनाओं को उन्मुक्त करना।
- हरित विकास।
- युवा शक्ति।
- वित्तीय क्षेत्र।
प्राथमिकता-1: समावेशी विकास
- कृषि एवं सहकारिता
- कृषि के लिए डिजिटल जन अवसंरचना
- वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि के लिए एक खुले स्रोत, खुले मानक और अंतर-प्रचालन-योग्य डिजिटल जन अवसंरचना का निर्माण किया जाएगा। इससे निम्न संभव होगाः
- फसलों के नियोजन और स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध सूचना सेवाओं।
- फार्म इनपुट के प्रति बेहतर सुलभता, ऋण एवं बीमा।
- फसल आकलन।
- बाजार की जानकारी।
- कृषि प्रौद्योगिकी उद्योग के विकास को समर्थन और स्टार्ट-अप्स को मदद के माध्यम से एक समावेशी किसान केन्द्रित समाधान।
- कृषि वर्धक निधि: वित्त मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि एक कृषि वर्धक निधि स्थापित की जाएगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को कृषि-स्टार्ट-अप्स शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके।
- उद्देश्यः किसानों के सामने आ रही चुनौतियों का नवोन्मेषी एवं किफायती समाधान उपलब्ध कराना।
- यह कृषि पद्धतियों को बदलने, उत्पादकता और लाभप्रदता के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियां लेकर आएंगे।
- कपास फसल की उत्पादकता बढ़ानाः अतिरिक्त लम्बे रेशेदार कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से कलस्टर आधारित और मूल्य शृंखला दृष्टिकोण अपनाएगी। इससे इनपुट आपूर्ति, एक्सटेंशन सेवाओं और बाजारों से जुड़ाव के लिए किसानों, राज्य और उद्योग के बीच परस्पर सहयोग बढ़ेगा।
- आत्मनिर्भर बागवानी स्वच्छ पौध कार्यक्रमः सरकार 2,200 करोड़ रुपये के परिव्यय से उच्च गुणवत्ता वाली बागवानी फसलों के लिए रोगमुक्त गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर स्वच्छ पौध कार्यक्रम का शुभारंभ करेगी।
मिलेट के लिए वैश्विक केन्द्र: ‘श्री अन्न’
- भारत मिलेट को लोकप्रिय बनाने के कार्य में सबसे आगे है, जिसकी खपत से पोषण, खाद्य सुरक्षा और किसानों के कल्याण को बढ़ावा मिलता है।
- भारत विश्व में ‘श्री अन्न’ का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत में कई प्रकार के ‘श्री अन्न’ की खेती होती है, जिसमें ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, रामदाना, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना और सामा शामिल हैं।
सहकारिता
- ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने के उद्देश्य से एक नया सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है।
- इस विजन को साकार करने के लिए सरकार ने पहले ही 2,516 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 63,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पीएसीएस) के कम्प्यूटरीकरण का कार्य शुरू किया है।
कृषि ऋणः किसानों के हित पर जोर देते हुए वित्त मंत्री ने घोषणा की कि कृषि ऋण के लक्ष्य को पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्यपालन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा।