खबरों में क्यों?
- जनवरी, 2022 को अफगान विदेश मंत्रालय ने, अफगानिस्तान की यात्रा पर आए तुर्कमेनिस्तान के उप विदेश मंत्री वफा खदजीव को अवगत कराया है कि काबुल रुकी हुई तापी (TAPI) गैस पाइपलाइन परियोजना को शुरू करने के लिए तैयार है
तापी परियोजना के बारे में
- तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान- भारत, तापी (TAPI) पाइपलाइन चार देशों से गुजरने वाली 1,814 किमी ट्रांस-कंट्री प्राकृतिक गैस पाइपलाइन होगी.
- इस पाइपलाइन को पीस पाइपलाइन या ट्रांस-अफगानिस्तान पाइपलाइन के रूप में भी जाना जाता है.
- तापी पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान में शुरू होगी और अफगानिस्तान से होते हुए पाकिस्तान और भारत में प्रवेश करेगी.
- TAPI पाइपलाइन कंपनी (TPCL) की स्थापना नवंबर 2014 में की गयी थी. इस कंपनी में तुर्कमेन्गाज (85% हिस्सेदारी ), अफगान गैस एंटरप्राइज (5%), इंटर स्टेट गैस सिस्टम्स (5%), और गेल (5%) की हिस्सेदारी है. $ 10 bn की परियोजना का निष्पादन TPCL को करना है.
- दिसंबर 2015 में मैरी, तुर्कमेनिस्तान में गल्किनेश गैस फील्ड के पास TAPI गैस पाइपलाइन के तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान खंड के निर्माण की शुरुआत की गयी थी.
- तापी परियोजना के विकास के लिए निवेश समझौते पर फरवरी 2016 में चार देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.
- पाइपलाइन के अफगानिस्तान-पाकिस्तान खंड के निर्माण की शुरुआत का समारोह फरवरी 2018 में आयोजित किया गया था
तापी पाइपलाइन विकास पृष्ठभूमि
- TAPI परियोजना की योजना मूल रूप से 1990 के दशक में पाकिस्तान और भारत को अफगानिस्तान के माध्यम से प्राकृतिक गैस का निर्यात करके तुर्कमेनिस्तान के गैस भंडार से राजस्व उत्पन्न करने के लिए सोची गई थी.
- चारो सदस्य देशों के प्रमुखों द्वारा 2010 में एक अंतर-सरकारी समझौते (IGA) पर हस्ताक्षर किए गए थे.
- दिसंबर 2010 में चारो देशों के पेट्रोलियम मंत्रालयों द्वारा एक गैस पाइपलाइन फ्रेमवर्क समझौते (जीपीएफए) पर भी हस्ताक्षर किए गए थे.
- द्विपक्षीय गैस बिक्री समझौते पर मई 2012 में हस्ताक्षर किए गए थे.
- तुर्कमेन्गाज, अफगान गैस एंटरप्राइज, इंटर स्टेट गैस सिस्टम्स, और गेल को 2013 में पाइपलाइन परियोजना को बढ़ावा देने और निवेश करने के लिए उनके संबंधित देशों द्वारा शेयरधारकों के रूप में नामित किया गया था.
- पाकिस्तान और भारत की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में से प्रत्येक द्वारा उत्पादित गैस की कुल मात्र का 42% खरीदने की उम्मीद है, जो लगभग 14 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) के बराबर है.
- अफगानिस्तान के 16% गैस खरीदने की उम्मीद है, जो लगभग 5.11bcm है. अफगानिस्तान को पाइपलाइन के लिए ट्रांजिट शुल्क के रूप में प्रति वर्ष $400 मिलियन प्राप्त होंगें
तापी पाइपलाइन मार्ग विवरण
- TAPI गैस पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान में गल्किनेश गैस फील्ड से उत्पादित गैस को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत तक पहुंचाएगी.
- पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान के मैरी क्षेत्र से शुरू होगी और अफगानिस्तान तक कुल 214 किमी की दूरी तय करेगी.
- पाइपलाइन अफगानिस्तान में कंधार और हेरात से होते हुए 774 किमी की दूरी तय करेगी.
- यह पाकिस्तान में क्वेटा और मुल्तान शहरों से होते हुए 826 किलोमीटर की दूरी तय करेगी, अंत में पंजाब, भारत में भारत-पाकिस्तान सीमा पर फाजिल्का में समाप्त होगी
तापी गैस पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति
- गाल्किनिश गैस फील्ड तुर्कमेनिस्तान में पाइपलाइन खंड को गैस की आपूर्ति करेगा.
- कुल मिलाकर, पाइपलाइन एक दिन में 90 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (Mmscm) प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगी.
- अफगानिस्तान 500 Mmcfd खरीदेगा, जबकि पाकिस्तान और भारत 1,325 Mmcfd गैस खरीदेंगे
तापी पाइपलाइन से लाभ
- पाइपलाइन से चार देशों के बीच शांति और सुरक्षा की स्थिति मजबूत होते हुए पूरे क्षेत्र में व्यापार और सहयोग के एक अद्वितीय स्तर की सुविधा उपलव्ध होने की उम्मीद है.
- अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में 1.5 अरब से अधिक लोगों को परियोजना द्वारा प्रदान की गई दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा से लाभान्वित होने की उम्मीद है.
- इस परियोजना से गैस की बिक्री के माध्यम से तुर्कमेनिस्तान के राजस्व को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
- अफगानिस्तान और पाकिस्तान को भी ट्रांजिट शुल्क के माध्यम से लाभ मिलेगा.
तुर्कमेनिस्तान के कूटनीतिक प्रयास
- तुर्कमेनिस्तान ने हाल के वर्षों में TAPI को साकार करने में काफी प्रयास किये हैं.
- निर्यात मार्गों की कमी के कारण गल्किनेश में गैस का उत्पादन उच्चतम स्तर पर नहीं रहता है.
- तुर्कमेनिस्तान अपनी गैस का एक बड़ा हिस्सा कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान में तीन-लाइन पाइपलाइन के माध्यम से चीन को भेजता है जो पहले से ही पूरी क्षमता पर कार्य कर रही है.
- रूस ने तुर्कमेनिस्तान को यूक्रेन और यूरोप में पारगमन और गैस बेचने के लिए अपने ट्रंकलाइन नेटवर्क का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया है, और दबाव बना रहा है कि सभी तुर्कमेन गैस, रूस में प्रवेश करने के बाद राज्य के स्वामित्व वाली गजप्रोम द्वारा खरीदी जाए.