यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): आत्मनिर्भर अभियान के तहत मधुमक्खी पालन (Sweet Revolution and Atma Nirbhar Bharat Abhiyan)
चर्चा का कारण
- हाल ही में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय ‘मीठी क्रांति और आत्मनिर्भर भारत’ था।
- सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
प्रमुख बिन्दु
- मीठी क्रांति और आत्मनिर्भर भारत विषय पर राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने यह वेबिनार राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, पश्चिम बंगाल सरकार, उत्तराखंड सरकार एवं शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर के साथ मिलकर आयोजित किया था।
- इस आयोजन का उद्देश्य कृषि आय और कृषि उत्पादन बढ़ाने के साधन के रूप में भूमिहीन ग्रामीण गरीब, छोटे और सीमांत लोगों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को लोकप्रिय बनाना है।
भारत में शहद उत्पादन एवं सरकारी प्रयास
- भारत विश्व में शहद के 5 सबसे बड़े उत्पादकों में शुमार है। भारत में वर्ष 2005-06 की तुलना में अब शहद उत्पादन 242 प्रतिशत बढ़ गया है, वहीं इसके निर्यात में 265 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं मधु मिशन (एनबीएचएम) के लिए मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए चार मॉडल बनाए हैं, जिनके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।
- सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए गठित की गई समिति की सिफारिशों का कार्यान्वयन कर रही है। इसीलिए, इसे बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई है। इससे मधुमक्खी पालकों के साथ ही किसानों की भी दशा और दिशा सुधारने में मदद मिलेगी।
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के तहत गठित मधुमक्खी पालन विकास समिति (बीडीसी) का गठन प्रो-देबरॉय की अध्यक्षता में किया गया था। बीडीसी का गठन भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करने के उद्देश्य से किया गया था ताकि इसके जरिए कृषि उत्पादकता, रोजगार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को संक्षित रखने में मदद मिल सके।
बीडीसी की सिफारिशें
- मधुमख्खियों को कृषि उत्पाद के रूप में देखना तथा भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को किसान का दर्जा देना।
- मधुमख्खियों के पंसद वाले पौधे सही स्थानों पर लगाना तथा महिला स्व: सहायता समूहों को ऐसे बागानों का प्रबंधन सौंपना।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में उन्नत अनुसंधान के लिए एक विषय के रूप में मधुमक्खी पालन को मान्यता।
- मधुमक्खी पालकों के राज्य सरकारों द्वारा प्रशिक्षण और विकास।
- शहद सहित मधुमख्खियों से जुड़े अन्य उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अवसंरचनाओं का विकास।
मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में चुनौतियाँ
- मधुमख्खियों को कीटनाशकजीवों तथा रोगों से उपचार के लिए कोई समरूप नीति न होने के कारण मधुमक्खी पालक सस्ती तथा गरै-अनुशंसित व अनैतिक उपचार की विधियां अपनाते हैं। इससे उत्पादन में औषधियों की लागत बढ़ जाती है और मिलावट शहद का उत्पादन होता है।
आगे की राह
- सरकार द्वारा शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना और स्पष्ट मानकों को निर्दिष्ट करना होगा।