चर्चा में क्यों?
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 21 नवंबर को राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति का अनावरण किया, जो आत्महत्या की रोकथाम को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने के लिए अपनी तरह की पहली सरकारी पहल है।
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति
- यह एक ऐसी नीति है जो आने वाले दशक में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए मंच तैयार करेगी।
- रणनीति का लक्ष्य 2023 तक देश में आत्महत्या मृत्यु दर को 10 प्रतिशत तक कम करना है।
- यह नीति देश में कई हितधारकों के लिए आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए गतिविधियों को लागू करने का एक ढांचा प्रदान करती है।
रणनीति के उद्देश्य
- यह अगले तीन वर्षों के भीतर आत्महत्या के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करना चाहती है।
- यह अगले पांच वर्षों के भीतर सभी जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम सेवाएं प्रदान करने वाले मनोरोग तथा बाह्य रोग विभागों की स्थापना करने की परिकल्पना करती हैं।
- इसका उद्देश्य अगले आठ वर्षों के भीतर सभी शैक्षणिक संस्थानों में एक मानसिक कल्याण पाठ्यक्रम को एकीकृत करना है।
- यह आत्महत्या की निगरानी को मजबूत करने और मूल्यांकन के माध्यम से सबूतों को आगे बढ़ाने का प्रयास करती है, जो कार्यक्रम की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करेगा।
रणनीति का क्रियान्वयन कैसे होगा?
- देश में नेतृत्व, साझेदारी और संस्थागत क्षमता को मजबूत करके।
- आत्महत्या रोकथाम सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता बढ़ाकर।
- आत्महत्या की रोकथाम और आत्मघाती व्यवहार से जुड़े कलंक को कम करने के लिए सामुदायिक लचीलापन तथा सामाजिक समर्थन विकसित करके।
भारत में आत्महत्याओं का वर्तमान परिदृश्य
- देश में हर साल 100,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। 2021 में देश भर के 53 मेगासिटी में कुल 25,891 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जिसमें दिल्ली में सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में आत्महत्या के कारण 1.64 लाख लोगों की मौत हुई, जो 2020 से 7.2% अधिक है।
- पिछले तीन वर्षों में देश की आत्महत्या दर प्रति 100,000 लोगों पर 10.2 से बढ़कर 11.3 हो गई।
- 2020 में भारत में दर्ज की गई सभी आत्महत्याओं में 65% आत्महत्याएं 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों की थीं।
भारत में अन्य आत्महत्या रोकथाम पहल
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति (2014) मानसिक विकारों की रोकथाम, आत्महत्या में कमी और आत्महत्या के प्रयास को प्रमुख प्राथमिकता क्षेत्रों के रूप में देती है।
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 (जो मई 2018 से लागू हुआ) ने प्रभावी रूप से आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया, जो भारतीय दंड संहिता की धारा-309 के तहत दंडनीय था।
- अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे-राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय प्रशामक देखभाल कार्यक्रम, आयुष्मान भारत और नशा मुक्ति अभियान टास्क फोर्स भी देश में आत्महत्या की रोकथाम की दिशा में काम करते हैं।