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Brain-booster / 24 Aug 2020

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: स्मॉग टावर (Smog Towers)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): स्मॉग टावर (Smog Towers)

स्मॉग टावर (Smog Towers)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में दिल्ली NCR में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्मॉग टावर न लगने पर फिर नाराजगी जताई है।

प्रमुख बिन्दु

  • सर्दी के समय दिल्ली गैस चौम्बर में तब्दील हो जाती है जिससे वहाँ सांस लेना दुभर हो जाता है। इसी को लेकर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने स्मॉग टावर लगाने का आदेश दिया था।
  • इससे पहले, केन्द्र ने 30 जुलाई को न्यायालय को सूचित किया कि पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार में स्मॉग टावर लगाने के लिये सहमति पत्र तैयार हो गया है और इस पर सभी हितधारक हस्ताक्षर करेंगे।

स्मॉग टावर क्या है?

  • स्मॉग टावर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर है, जिसे बड़े पैमाने पर वायु शोधक के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • स्मॉग टॉवर अपने आस-पास की प्रदूषित हवा को सोख लेता है और फिर इसमें लगे कई फिल्टरों की सहायता से इसे साफ करके दुबारा पर्यावरण में छोड़ देता है। एक एयर प्यूरीफायर जितना बड़ा होगा, उतनी ही अधिक हवा को साफ करेगा। इनको बिजली और सोलर पॉवर से भी चलाया जा सकता है।

वैश्विक स्थिति

  • नीदरलैंड, चीन, दक्षिण कोरिया और पोलैंड के शहरों में हाल के वर्षों में स्मॉग टावरों का प्रयोग किया गया है। इस तरह का पहला टॉवर 2015 में, नीदरलैंड के रोटरडैम में बनाया गया था (यह इसके चारों ओर 30,000 क्यूबिक मीटर हवा प्रति घंटे फिल्टर कर सकता है)। विशेषज्ञों ने कहा है कि टावर शहर में फ्स्वच्छ वायु क्षेत्र बनाएंगे।

नीति आयोग के सुझाव

  • क्लीन निर्माण परियोजनाएं - नीति आयोग के मुताबिक ऐसी निर्माण परियोजनाएं बननी थीं, जिनसे प्रदूषण न फैले। हवा साफ-सुथरी रहे। इसके तहत ही शहर में स्मॉग फ्री टॉवर लगाए जाने चाहिए ताकि दूषित हवा को स्वच्छ हवा में बदला जा सके।
  • पर्यावरण नुकसान का आंकलन - शहर में हो रहे विभिन्न निर्माण व ध्वस्तीकरण कार्यों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का मूल्यांकन प्रदूषण बोर्ड को करना चाहिए । नीति आयोग एक्शन प्लान में निर्माण परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति व जोखिम का मूल्यांकन किया गया है।
  • लागू हों ग्रीन बिल्डिंग मानक - प्रदूषित शहरों के लिए बने एक्शन प्लान में आयोग ने निर्माणाधीन बिल्डिंगों व नए प्रोजेक्ट्स का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग के मापदण्ड के आधार पर करने का सुझाव दिया। ऐसी बिल्डिंगों को ग्रीन बिल्डिंग की रेटिंग मिलेगी।
  • रेडीमेड कंक्रीट का इस्तेमाल - निर्माण कार्यों के दौरान सीमेंट, रेत व मिटटी के सूक्ष्म कण हवा में न पहुंच पाएं और धूल-मिटटी हवा में न उड़े, साथ ही वायु गुणवत्ता न बिगड़े। इसके लिए निर्माण कार्यों के दौरान रेडीमेड कंक्रीट के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया।

लाभ

  • अगर सिर्फ 2.5 पीएम डब्लूएचओ के मानक पर आ जाता है तो लोगों की औसत आयु चार वर्ष बढ़ जाएगी। खतरनाक वायु प्रदूषण के स्तर की वजह से लोग अपनी औसत आयु से छह साल गंवा रहे हैं। अगर डब्लूएचओ मानकों को पूरा किया गया तो लोगों की औसत उम्र नौ साल तक बढ़ सकती है।