संविधान के बारे में
भारतीय संविधान अपने तत्वों और भावना में अद्वितीय है. इसमें दुनिया के लगभग हर संविधान से अच्छे तत्व लिए गए हैं लेकिन भारत के संविधान में कई मुख्य विशेषताएं हैं जो इसे अन्य देशों के संविधानों से अलग करती है
मुख्य विशेषताए
1- सबसे लंबा लिखित संविधान
संविधानों को 2 प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है-
- लिखित जैसे भारत, जर्मनी, फ्रांस, यूएस
- अलिखित जैसे यूके, न्यूजीलैंड और इजराइल
भारतीय संविधान के विस्तृत होने के प्रमुख कारण
- भौगोलिक कारकः- देश की विशालता और विविधता के कारण
- ऐतिहासिक कारकः- भारत शासन अधि नियम 1935 के कारण जो कि विस्तृत था
- केंद्र और राज्यों दोनों के लिए एकल संविधान-
- संविधान सभा में विधि विशेषज्ञों की प्रमुखता
2- विभिन्न स्रोतों का प्रभाव
- भारत शासन अधिनियम,1935- संघीय तंत्र, राज्यपाल का पद, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन प्रावधान तथा प्रशासनिक विवरण
- ब्रिटिश संविधानः- संसदीय शासन व्यवस्था, कानून का शासन, विधायी प्रक्रिया, एकल नागरिकता, कैबिनेट प्रणाली, संसदीय विशेषाधिकार, परमाधिकार लेख और द्विसदनीयता
- अमेरिकी संविधानः- मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक समीक्षा, राष्ट्रपति पर महाभियोग, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाना और उपराष्ट्रपति का पद
- आयरलैंड का संविधानः- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत, राज्यसभा के लिए सदस्यों का नामांकन और राष्ट्रपति के चुनाव की विधि
- जापान संविधानः- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
3- कठोर एवं लचीलापन
- अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में 2 तरह से संशोधन किये जा सकते है
- केशवानंद भारती केस (1973) में, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद संविधान में संशोधन कर सकती है लेकिन यह संविधान के "मूल ढांचे" को नहीं बदल सकती है
4- सरकार का संसदीय स्वरूप
संसदीय प्रणाली को सरकार के "वेस्टमिंस्टर" मॉडल, उत्तरदायी सरकार और मंत्रिमंडल सरकार के रूप में भी जाना जाता है. सरकार के संसदीय स्वरूप की विशेषताएं हैं-
- नाममात्र और वास्तविक कार्यपालको की उपस्थिति
- बहुमत वाले दल का शासन
- विधायिका के प्रति कार्यपालिका की सामूहिक जिम्मेदारी
- मंत्री किसी भी सदन के सदस्य होते हैं
- प्रधानमंत्री का नेतृत्व
- मात्र निचला सदन भंग होता है
5- मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान का भाग 3, छह मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है
6- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के आदर्श को बढ़ावा देने के लिए हैं. इनका लक्ष्य भारत में एक "कल्याणकारी राज्य" स्थापित करना है
7- संघीय व्यवस्था
भारत का संविधान सरकार की एक संघीय प्रणाली की स्थापना करता है. इसमें दो सरकारें, शक्तियों का विभाजन, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, संविधान की कठोरता, स्वतंत्र न्यायपालिका और द्विसदनीयता शामिल हैं
8- एकात्मकता की ओर झुकाव
एकात्मक की ओर झुकाव एक मजबूत केंद्र, एकल संविधान, एकल नागरिकता, संविधान का लचीलापन, एकीकृत न्यायपालिका, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति, अखिल भारतीय सेवाओं, आपातकालीन प्रावधानों आदि द्वारा देखा जा सकता है
9- एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका
भारतीय संविधान एक एकीकृत और स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली की स्थापना करता है
10- मौलिक कर्तव्य
42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया. 86वें संविधशन संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया
11- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
प्रत्येक नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष से कम नहीं है उसे मतदान का अधिकार है 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 द्वारा 1989 में मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई
12- एकल नागरिकता
भारतीय संविधान संघीय है और इसमें सरकारों का प्रावधान है केंद्र और राज्य- यह केवल एक ही नागरिकता प्रदान करता है, अर्थात भारत की नागरिकता