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विषय (Topic): भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी (Rising of India's Forex Reserves)
चर्चा का कारण
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 501.70 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। इसमें फॉरेन करेंसी ऐसेट्स (FCA) में बड़ी वृद्धि का योगदान है।
- गौरतलब है कि फॉरन करेंसी एसेट्स में गैर-अमेरिकी यूनिट्स जैसे यूरो, पाउंड और येन, जो विदेशी मुद्रा भंडार में रखी हैं, उनके उतार या चढ़ाव के असर को शामिल किया जाता है।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?
- विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ हद तक यूरो विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है। विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
- कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंकनोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार आमतौर पर किसी देश के अंतरराष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। आमतौर पर, जब किसी देश के मौद्रिक प्राधिकरण पर किसी प्रकार का दायित्व होता है, तो उसे अन्य श्रेणियों जैसे कि अन्य निवेशों में शामिल किया जाएगा।
विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का कारण
- कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते व्यापार गतिविधियों में गिरावट आई है, जिस कारण चालू खाता घाटे में कमी आई है। यही कारण है कि विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है।
- अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का प्रमुख कारण भारतीय शेयरों में विदेशी निवेश, साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश माना जा रहा है। गौरतलब है कि विदेशी निवेशकों द्वारा अप्रैल और मई माह में कई भारतीय कंपनियों में रकम लगाई गई जो इसकी बढ़त का एक बड़ा कारण है।
- दूसरी ओर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से तेल आयात बिल में कमी आई है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। इसी तरह, विदेशी प्रेषण और विदेश यात्र अप्रैल में 12.87 बिलियन डॉलर से 61 फीसदी कम हो गई है।
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का क्या महत्व है
- बढ़ते भंडार ने भी रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूत करने में मदद की है। गौरतलब है कि भारत की जीडीपी भारत के विकास का जरिया है और यहां की कुल जीडीपी में 15 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा है।
- गौरतलब है कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में अधिकांश हिस्सेदारी विदेशी मुद्रा संपत्तियों की ही है। जब संकट का समय आता है और उधार लेने की क्षमता घटने लगती है तो विदेशी मुद्रा आर्थिक तरलता को बनाए रखने में मददगार होती है। ऐसे में भुगतान संतुलन से लेकर कई आर्थिक संतुलन डगमगाने से पहले संभल जाते हैं।
- फॉरेक्स रिजर्व रखने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में देश की साख बनी रहती है। जिस देश का रिजर्व जितना अधिक रहेगा, वह अंतरराष्ट्रीय फॉरेक्स बाजार में उतना दखल दे सकता है।
- फॉरेक्स रिजर्व उद्योगपतियों और निवेशकों में भरोसा पैदा करता है कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार आसानी से कर सकते हैं।
आरबीआई फॉरेक्स रिजर्व के साथ क्या करता है
- रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक और प्रबंधक के रूप में कार्य करता है, साथ ही जब रुपए का ज्यादा अवमूल्यन हो जाता है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) विदेशी पूंजी बाजार में डॉलर को बेच देता है ताकि रुपए का मूल्य स्थिर हो सके।
आगे की राह
- 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग शून्य हो गया था और तब विदेश से आयात के लिए भारत को सोना गिरवी रखना पड़ा था। इसलिए बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को वृद्धि की राह पर लौटने की दिशा में किया जाना चाहिए।