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विषय (Topic): भारत में एनीमिया की चिंताजनक स्थिति (Prevalence of Anaemia in India)
चर्चा का कारण
- हाल ही में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-20 के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे में एनीमिया से ग्रसित हैं और हिमालय के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्रों में इसका प्रसार सबसे ज्यादा है।
एनीमिया क्या है?
- जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का स्तर सामान्य से कम या हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, तो इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं। ऐसा आहार जिसमें पर्याप्त आयरन, फोलिक एसिड या विटामिन बी-12 नहीं होता है, एनीमिया का एक सामान्य कारण बन सकता है।
- जब शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है, तो नसों में ऑक्सीजन का प्रवाह भी कम होता है। इससे खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और शरीर को जरूरी ऊर्जा भी नहीं मिल पाती है।
- एनीमिया के सामान्य लक्षणों में थकान, ठंड लगना, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य स्थितियां जो एनीमिया का कारण हो सकती हैं, जैसे- गर्भावस्था, मासिक धर्म के कारण रक्त की कमी, अल्सर, रक्त विकार या कैंसर (जैसे कि सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया या कैंसर), वंशानुगत विकार और संक्रामक रोग, इत्यादि। इससे मातृ मृत्यु-दर में वृद्धि के साथ साथ किशोरियों की शारीरिक व प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है।
भारत में एनीमिया कितना व्यापक है?
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) के अनुसार, इस सर्वेक्षण के दौरान 6 से 59 महीने के बच्चों और 15 से 49 वर्ष की आयु की महिलाओं और पुरुषों के बीच एनीमिया का परीक्षण किया गया। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) के अनुसार देश के 22 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में से 15 में आधे से अधिक बच्चे और महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इसी तरह, इन 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50 फीसदी से अधिक महिलाएं एनीमिक हैं।
- एनीमिक बच्चों व महिलाओं का अनुपात लक्षद्वीप, केरल, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम तथा नागालैंड में तुलनात्मक रूप से कम है और लद्दाख, गुजरात, जम्मू-कश्मीर व पश्चिम बंगाल में अधिक है। इनमें से अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पुरुषों में एनीमिया का स्तर 30% से कम है।
देश में एनीमिया इतना व्यापक क्यों है?
- चावल और गेहूं पर अधिक निर्भरता व आहार में बाजरा की कमी एनीमिया के उच्च प्रसार के कारण हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त हरी और पत्तेदार सब्जियों की अपर्याप्त खपत एवं पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में कम पोषण के कारण भारत में एनीमिया के मामले बढ़ रहे हैं।
- भारत में एनीमिया का स्तर स्वतंत्रता के पश्चात भी लगातार उच्च बना हुआ है। यहाँ तक कि भारत में हरित क्रांति के बाद भी आहार एवं भोजन की आदतों में बदलाव नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त खाद्य पदार्थों में विविधता का अभाव भी एनीमिया का एक प्रमुख कारण है। विश्लेषकों का मानना है कि इसके लिए आनुवंशिक या पर्यावरणीय कारक उत्तरदायी हो सकते हैं,किन्तु इस संबंध में गहन शोध अभी तक नहीं हुआ है।
- इसके अतिरिक्त , हीमोग्लोबिन का वर्तमान मानदंड पश्चिमी देशों की जनसंख्या पर आधारित है और भारत में इसके सामान्य मानक भिन्न हो सकते हैं। हालांकि भारत में ऐसी महिलाएँ भी हैं, जिनका हीमोग्लोबिन कभी-कभी छह या आठ तक गिर जाता है, किन्तु वे स्वस्थ रहती हैं।
पश्चिमी हिमालय के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र में एनीमिया
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 92.5 फीसदी बच्चे, 92.8 फीसदी महिलाएं और 76 फीसदी पुरुष एनीमिया से पीडि़त हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि लाहौल और स्पीति जिला, जो कि हिमाचल प्रदेश में स्थित है, में 91 फीसदी बच्चे और 82 फीसदी महिलाएं एनीमिक हैं। ये दोनों क्षेत्र हिमालय के ठंडे रेगिस्तान का हिस्सा हैं। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के बाकी हिस्सों में, एनीमिया की व्यापकता अपेक्षाकृत कम है।
- चूंकि शीत मरुस्थलीय क्षेत्र में फसलें आम तौर पर केवल गर्मियों में और सर्दियों के दौरान उगाई जाती हैं,ऐसे में एनीमिया के उच्च प्रसार का कारण प्रत्येक वर्ष लंबी सर्दियों के दौरान ताजी सब्जियों व फलों की कम आपूर्ति हो सकती है।