यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (Pradhan Mantri Formalisation of Micro Food Enterprises - PM FME)
चर्चा का कारण
- हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 10,000 करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ अिखल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक नई केन्द्र प्रायोजित "सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना (एफएमई)" को स्वीकृति दे दी है। इस व्यय को 60ः40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
- करीब 25 लाख अपंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण उद्यम हैं जो इस क्षेत्र का 98 प्रतिशत है और ये असंगठित तथा अनियमित हैं। इन इकाईयों का करीब 68 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रें में स्थित है और इनमें से भी 80 प्रतिशत परिवार आधारित उद्यम हैं।
- यह क्षेत्र बहुत सी चुनौतियों जैसे ऋण तक पहुँच होना, संस्थागत ऋणों की ऊँची लागत, अत्याधुनिक तकनीक की कमी, खाद्य आपूर्ति शृंखला के साथ जुड़ने की अक्षमता और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानकों के साथ अनुपालन का सामना करता है।
उद्देश्य
- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि के साथ-साथ लक्षित उद्यमों के राजस्व में वृद्धि करना इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है।
- खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन तथा असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन के साथ-साथ महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ जनजातीय जिलों में लघु वन उत्पाद पर ध्यान दिया जाएगा।
मुख्य विशेषताएँ
- इस योजना के तहत व्यय को 60ः40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।
- योजना को 2020-21 से 2024-25 तक के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु कार्यान्वित किया जाएगा।
प्रशासनिक और कार्यान्वयन तंत्र
- इस योजना की निगरानी खाद्य प्रसंस्करण उद्योगमंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (आईएमईसी) के द्वारा केन्द के स्तर पर की जाएगी।
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की एक समिति एसएचजी/ एफपीओ/ को ओपरेटिव के द्वारा नई इकाईयों की स्थापना और सूक्ष्म इकाईयों के विस्तार के लिए प्रस्तावों की निगरानी और अनुमति/अनुमोदन करेगी।
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करते हुए वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे।
नोडल विभाग और एजेन्सी
- राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल एजेंसी (एसएनए) राज्य/संघ शासित प्रदेशों में इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए उत्तरदायी होने के साथ-साथ राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर पर योजना की तैयारी और प्रमाणीकरण, समूह विकास योजना, इकाईयों और समूहों आदि को सहायता प्रदान करते हुए जिला, क्षेत्रीय स्तर पर स्रोत समूह के कार्य की निगरानी करेगी।
प्रभाव और रोजगार सृजन
- करीब आठ लाख सूक्ष्म-उद्यम सूचना, बेहतर विवरण और औपचारिक पहुँच के माध्यम से लाभान्वित होंगे। इसके अलावा 2,00,000 सूक्ष्म उद्यमों तक ऋण से जुड़ी सब्सिडी और हैंडहोल्डिंग सहायता को बढ़ाया जाएगा।
- यह उन्हें संगठित, विकसित और प्रतिस्पर्धी बनने में समर्थ बनाएगा। साथ ही इस परियोजना से नौ लाख कुशल और अल्प-कुशल रोजगारों के सृजन की संभावना है।
- इस योजना में आकांक्षापूर्ण जिलों में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों, और महिला उद्यमियों को ऋण तक पहुँच बढ़ाया जाना शामिल है। इससे संगठित बाजार के साथ बेहतर समेकन होने के साथ-साथ, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण आदि जैसी समान सेवाओं को पहुँच में वृद्धि होगी।