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विषय (Topic): श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केस (Padmanabhaswamy Temple Case)
चर्चा का कारण
- वर्ष 2011 के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने तिरुवनंतपुरम में श्री पप्रनाभ स्वामी मंदिर में देवता की संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए त्रवणकोर शाही परिवार के अधिकार को बरकरार रखा है।
- मंदिर 2011 के अपनी भूमिगत वाल्टों (गुबंद) में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के खजाने की खोज के बाद से चर्चा में है।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 1947 के पूर्व, सभी मंदिर जो त्रवणकोर तथा कोचीन की पूर्ववर्ती रियासतों के नियंत्रण और प्रबंधन के अधीन थे, स्वतंत्रता के पश्चात त्रवणकोर एवं कोचीन देवासम बोर्डों के नियंत्रण में आ गये।
- 1949 में त्रवणकोर और कोचीन के शाही परिवार और भारत सरकार के बीच अनुबंध के अनुसार श्री पप्रनाभ स्वामी मंदिर का प्रशासन ‘त्रवणकोर के शासक’ के पास रहेगा।
- इसके उपरान्त त्रवणकोर कोचीन हिंदू रिलीजियस इंस्टीट्यूट्स एक्ट के सेक्शन 18(2) के तहत मंदिर का प्रबंधन त्रवणकोर के शासक के नेतृत्व वाले ट्रस्ट के हाथ में रहा।
- वर्ष 1971 में, संवैधानिक संशोधन के माध्यम से पूर्ववर्ती राजघरानों के प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया तथा उनके विशेषाधिकारों को भी समाप्त कर दिया गया।
मुख्य मुद्दा
- त्रवणकोर के आखिरी शासक के निधन उपरान्त केरल सरकार ने उनके भाई उत्रटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के नेतृत्व में प्रशासकीय समिति के पास मंदिर का प्रबंधन सौंपा।
- मंदिर के तहखानों में जमा संपत्ति पर राज परिवार का अधिकार होने का दावा कर मार्तण्ड वर्मा 2007 में कोर्ट में मामला ले गए थे जिसके उपरान्त भक्तों ने याचिका लगाई कि त्रवणकोर शाही परिवार को मंदिर की संपत्ति का बेवजह इस्तेमाल की अनुमति न दी जाए।
- केरल की एक निचली अदालत ने राज परिवार के दावे के ख़िलाफ़ एक निषेधाज्ञा पारित की जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट चला गया।
- हाईकोर्ट ने 2011 के फैसले में आदेश पारित किया कि मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाए जिसके विरुद्ध राज परिवार ने हाईकोर्ट के इस फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में फौरन याचिका दायर की।
- क्योंकि इसके तहत मुख्य कानूनी प्रश्न यह था, कि क्या अंतिम शासक की मृत्यु के बाद उनके भाई, उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा ‘त्रवणकोर का शासक’ होने का दावा कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
- अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चार हफ्रते में प्रबंधन और सलाहकार समिति का गठन किया जाए और इन समितियों का पीठाधीश हिन्दू होगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मंदिर की तमाम संपत्तियों को संरक्षित करने की इन समितियों की जिम्मेदारी होगी।
- पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाने (कल्लरा बी) को खोला जाए या नहीं इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट ने प्रबंधन और सलाहकार समिति पर छोड़ दिया है।
- न्यायालय ने, नीतिगत मामलों पर प्रशासनिक समिति को सलाह देने के लिए एक दूसरी समिति गठित करने का भी आदेश दिया।
- इसकी अध्यक्षता केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।
- इसके अलावा उच्चत्तम न्यायालय का कहना है कि, प्रथागत कानून के अनुसार, देवता के वित्तीय मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार (Shebait rights) अंतिम शासक की मृत्यु के बाद भी परिवार के सदस्यों के साथ जारी रहता है।
- उच्चतम न्यायालय ने ‘शीबैट’ (Shebait) को ‘प्रतिमा के संरक्षक, सांसारिक प्रवक्ता तथा अधिकृत प्रतिनिधि’ के रूप में परिभाषित किया है, जो इसके सांसारिक मामलों तथा इसकी परिसंपत्तियों का प्रबंधन करेगा।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
- श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध वैष्णव हिन्दू मंदिर है।
- इसका जिक्र 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी आता है, लेकिन मंदिर के मौजूदा स्वरूप को 1733 ई. में त्रवणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने बनवाया था।
- इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है।
- इस मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है जिसमें सुंदर नक्काशी की गयी है।
- मंदिर के पास ही एक सरोवर भी है, जो ‘पप्रतीर्थ कुलम’ के नाम से जाना जाता है।