चर्चा में क्यों?
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार ने 2014 से अब तक गंगा की सफाई पर 13000 करोड़ से अधिक खर्च किया है।
बैठक के प्रमुख अंश
- एनजीएमसी ने परिषद की बैठक में एक विस्तृत वित्तीय प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014 से 31 अक्टूबर, 2022 तक एनजीएमसी को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
- उत्तर प्रदेश राज्य को सबसे बड़ा परिव्यय प्राप्त हुआ जो 4,205.41 करोड़ है। कुल 2,525 किलोमीटर में से उत्तर प्रदेश में गंगा नदी की लम्बाई लगभग 1100 किलोमीटर है।
- उत्तर प्रदेश के बाद बिहार (3516.63 करोड़), पश्चिम बंगाल (1320.39 करोड़), दिल्ली (1253.86 करोड़) और उत्तराखंड (1117.34 करोड़) वह राज्य है जिन्हें सबसे ज्यादा परिव्यय प्राप्त हुआ।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- केंद्र सरकार ने जून 2014 में राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रभावी प्रदूषण निवारण, संरक्षण और कायाकल्प के दोहरे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम को ‘फ्लैगशिप प्रोग्राम’ के रूप में नामित किया।
- सरकार ने 31 मार्च 2021 तक की अवधि के लिए कार्यक्रम शुरू किया था, इस अवधि को पांच साल के लिए 31 मार्च 2026 तक और बढ़ा दिया गया था।
- यह जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
प्रमुख स्तंभ
- सीवरेज ट्रीटमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रियल एफ्लुएंट मॉनिटरिंग।
- रिवर-फ्रंट डेवलपमेंट एंड रिवर-सरफेस क्लीनिंग।
- जैव विविधता और वनीकरण।
- जन जागरण।
कार्यक्रम के बारे में हाल के अपडेट
- संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भारत की पवित्र नदी गंगा को फिर से जीवंत करने के लिए नमामि गंगे पहल को प्राकृतिक दुनिया को पुनर्जीवित करने के लिए शीर्ष 10 विश्व बहाली फ्लैगशिप में से एक के रूप में मान्यता दी।
- नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास स्वच्छता बनाए रखने से लेकर पर्यटन, संरक्षण और आजीविका विकसित करने के लक्ष्यों में भी धीरे-धीरे बदलाव आया है।
- पीएम ने गंगा को साफ करने के लिए केंद्र सरकार की प्रमुख परियोजना नमामि गंगे से ‘अर्थ गंगा’ के मॉडल में बदलाव का आग्रह किया।
गंगा कायाकल्प से जुड़ी चुनौतियां
- गंगा संरक्षण के लिए प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
- कोसी, रामगंगा, और काली नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में कानपुर की चर्म शोधनशालाएँ, आसवनी, कागज और चीनी मिलें इसमें प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
- नदी तल के पास अवैध और बड़े पैमाने पर निर्माण की समस्या नदी की सफाई में एक बड़ी बाधा है।
- हालांकि, इस दिशा में विभिन्न प्रयास किए जाते हैं, उचित पर्यवेक्षण तथा निगरानी की कमी जैसे खराब प्रशासन पहलू अभी भी एक बड़ी चुनौती है।