चर्चा में क्यों?
- केंद्र घरेलू हिंसा, संपत्ति के अधिकार और पितृसत्तात्मक व्यवस्था का मुकाबला करने जैसे मुद्दों के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान मंच के रूप में ग्रामीण स्तर पर केवल महिला अदालतों की स्थापना की एक अनूठी पहल शुरू कर रहा है।
उद्देश्य
- हालांकि नारी अदालत के पास कोई कानूनी दर्जा नहीं है, लेकिन इसका प्राथमिक लक्ष्य सुलह, शिकायत निवारण और अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
संघटन
- प्रत्येक गाँव की नारी अदालत में 7-9 सदस्य होंगे, जिनमें से आधे ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य होंगे और आधे शिक्षक, डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता जैसी सामाजिक प्रतिष्ठा वाली महिलाएँ होंगी, जिन्हें ग्रामीणों द्वारा नामित किया जाएगा।
- न्याय सखी (कानून मित्र) के रूप में जानी जाने वाले सदस्यों को ग्राम पंचायत द्वारा नामांकित या चयनित किया जाएगा।
- नारी अदालत की प्रमुख जिन्हें मुख्य न्याय सखी (मुख्य कानून मित्र) कहा जाता है, को न्याय सिखयों में से चुना जाएगा।
- मुख्य न्याय सखी का कार्यकाल आम तौर पर छह महीने का होगा जिसके बाद नये मुखिया का चयन किया जायेगा।
मंत्रालय प्रभारी
- यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा मिशन शक्ति की संबल उप-योजना के तहत संचालित की जाएगी, जो महिलाओं की सुरक्षा और सशत्तफ़ीकरण को मजबूत करने के लिए समर्पित है।
अन्य मंत्रालय
- पंचायती राज मंत्रालय
- ग्रामीण विकास मंत्रालय
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी)
मानक संचालन प्रक्रियाएं
- नारी-अदालत की एकरूपता और प्रभावी कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों के लिए विस्तृत प्रक्रियाएं तैयार की गई हैं, जिन्हें जल्द ही जारी किया जायेगा।
प्रेरणा
- यह योजना पारिवारिक महिला लोक अदालत (महिलाओं की पीपुल्स कोर्ट) से प्रेरणा लेती है जो 2014-15 तक राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) द्वारा संचालित की जाती थी।
लक्षित क्षेत्र
इन लोक अदालतों के माध्यम से निस्तारित मामलों से संबंधित होगाः
- पारिवारिक मामले
- वैवाहिक विवाद
- द्वि-विवाह
- उत्तराधिकार