यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): विवाह के लिए न्यूनतम आयु (Minimum Age of Marriage)
चर्चा का कारण
- स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का संकेत दिया कि सरकार लड़कियों की शादी के लिए तय कानूनी आयु में संशोधन करने का विचार कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लड़कियों की शादी के लिए सही आयु क्या होनी चाहिए इस मुद्दे पर विचार करने के लिए समिति गठित की गयी है।
प्रमुख बिन्दु
- विवाह की न्यूनतम आयु, विशेषकर महिलाओं के लिए एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। वर्तमान में देश में लड़कियों की शादी की कानूनी आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष है।
- 2 जून को, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रलय ने मातृत्व की उम्र, मातृ मृत्यु दर को कम करने की अनिवार्यता और महिलाओं के बीच पोषण स्तर में सुधार के मामलों की जांच के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था। यह टास्क फोर्स गर्भावस्था, प्रसव और उसके बाद माँ और बच्चे के चिकित्सीय स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर के साथ विवाह की आयु और मातृत्त्व के सहसंबंध की जाँच करेगी।
- यह टास्क फोर्स शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), मातृ मृत्यु दर (एमएमआर), कुल प्रजनन दर (टीएफआर), जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) और बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) जैसे प्रमुख मापदंडों को भी देखेगा, और संभावना की जांच करेगा कि महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ा कर 21 वर्ष किया जाये।
पुरुष और महिलाओं के विवाह में अंतर क्यों?
- केंद्रीय बजट 2020-21 के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि साल 1978 में तत्कालीन शारदा अधिनियम 1929 को संशोधित कर लड़कियों की शादी की आयु को 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि शादी करने के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए उम्र के अलग-अलग कानूनी मानक होने का कानून में कोई तर्क नहीं है।
- विधि आयोग ने भी अपने एक परामर्श पत्र में कहा था कि विवाह के लिये महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग आयु समाज में रूढि़वादिता को बढ़ावा देती है।
- महिला अधिकार कार्यकर्ता इस तर्क को भी खारिज कर देती हैं जिसमें कहा जाता है कि महिलाएं समान उम्र के पुरुषों की तुलना में अधिक परिपक्व होती हैं और इसलिए, जल्द से जल्द शादी करने की अनुमति दी जा सकती है।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने से महिला सशक्तिकरण और महिला शिक्षा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है। कम उम्र में प्रारंभिक गर्भावस्था बढ़ी हुई बाल मृत्यु दर से जुड़ी होती है और माँ के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
- पिछले साल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह के लिए एक समान उम्र की मांग की गई थी। इस मामले में याचिकाकर्ता ने भेदभाव के आधार पर कानून को चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21, जो समानता के अधिकार और गरिमा के साथ जीने के अधिकार की गारंटी देते हैं, विवाह करने के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कानूनी उम्र होने का उल्लंघन करते हैं।
बाल विवाह की स्थिति
- कानून में नाबालिगों के शोषण को रोकने के लिए विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित की गई है। कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियों में एनीमिया और कुपोषण जैसी समस्याएं बेहद आम हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा 2 जुलाई को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह पर लगभग सार्वभौमिक प्रतिबंध लगा दिया गया था, फिर भी पूरे विश्व में हर दिन बाल विवाह होते हैं।
- एक अनुमान के अनुसार 650 मिलियन लड़कियों और महिलाओं की शादी बचपन में कर दी गयी थी, और 2030 तक, 18 वर्ष से कम उम्र की अन्य 150 मिलियन लड़कियों का विवाह कर दिया जाएगा।
- यूनिसेफ का अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष, भारत में 18 वर्ष से कम उम्र की कम से कम 1-5 मिलियन लड़कियों का विवाह किया जाता है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। भारत में, बाल विवाह के आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बाल विवाह में शामिल होने वाली 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में 46 प्रतिशत निम्न आय वर्ग से थीं।