यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): भारत में आकाशीय बिजली की गंभीरता (Lightning Incidents in India)
चर्चा का कारण
- हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार आकाशीय बिजली से अप्रैल, 2019 से मार्च, 2020 के बीच भारत में लगभग 1,771 मौतें हुई हैं। ध्यातव्य है कि इससे होने वाली मौतों में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है।
आकाशीय बिजली (तडि़त) क्या होती है?
- आकाशीय बिजली उच्च वोल्टेज और बहुत कम अवधि के लिये बादल और स्थल के बीच या बादल के भीतर प्राकृतिक रूप से विद्युत निस्सरण (Eelectrical Discharge) की प्रक्रिया है।
- इस प्रक्रिया में तीव्र प्रकाश, गरज, चमक और आवाज होती है।
- आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं एक निश्चित अवधि के दौरान और लगभग समान भौगोलिक स्थानों पर समान पैटर्न में होती है।
- इंटर क्लाउड (अंतर मेघ) या इंट्रा क्लाउड (अंतरा मेघ-IC) आकाशीय बिजली हानिरहित होती हैं, जबकि क्लाउड टू ग्राउंड (बादल से पृथ्वी तक आने वाली) आकाशीय बिजली ‘हाई इलेक्ट्रिक वोल्टेज और इलेक्ट्रिक करंट’ के कारण हानिकारक होती है।
- भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं। हिमालय और समुद्र से घिरे भारत की भागौलिक पारिस्थितिकी इसके लिए जिम्मेदार बताई जाती है।
इस प्रकार की मौतों को किस प्रकार कम किया जा सकता है?
- क्लाइमेट रेजिलिएंट ओब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (Climate Resilient Observing Systems Promotion Council - CROPC) के अनुसार, किसानों, पशु चराने वालों, बच्चों और खुले क्षेत्रों में लोगों की जान बचाने के लिए बिजली गिरने की पूर्व जानकारी देना महत्वपूर्ण है।
- बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए, तडि़त सुरक्षा यंत्रों को लगाने जैसे स्थानीय तडि़त सुरक्षा कार्य योजनाओं की आवश्यकता है।
- आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों को और कम करने के लिये लाइटनिंग रेजीलियंट इंडिया अभियान में अत्यधिक भागीदारी की आवश्यकता है।
- इसके अलावा स्थानीय आकाशीय बिजली सुरक्षा कार्य योजना, जैसे आकाशीय बिजली संरक्षण उपकरण (Lightning Protection Devices) स्थापित करने से भी जन-हानि को रोका जा सकता है।
- इसके अलावा आकाशीय बिजली से संबंधित पूर्वानुमान और चेतावनी को मोबाइल पर संदेशों के माध्यम से सभी क्षेत्रों और सभी भाषाओं में उपलब्ध कराई जानी चाहिए है।
- क्योंकि इस घटना की दुऽद तस्वीर ये भी है कि बिजली गिरने से मरने वालों में सबसे ज्यादा मौतें ग्रामीण इलाकों में होती हैं। खेतों में काम कर रहे किसान और मजदूर इसका शिकार बनते हैं। जागरुकता के अभाव में कई बार ग्रामीण खेत में रुक जाते हैं या फिर हरे पेड़ों के नीचे ठहर जाते हैं, लेकिन ये हादसे की आशंका को और बढ़ा देता है।
आगे की राह
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने राज्यों को लाइटनिंग एक्शन प्लान तैयार करने के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये हैं परंतु बड़ी संख्या में हो रही मौतों से पता चलता है कि इसके क्रियान्वयन में ‘वैज्ञानिक और सामुदाय केंद्रित दृष्टिकोण’ की आवश्यकता है।
- डब्लूएमओ (विश्व मौसम विज्ञान संगठन) के अनुसार, अगर बिजली की चमक और गड़गड़ाहट के बीच का समय 30 सेकंड से कम है, तो उस समय लोगों को घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए। ऐसे में घर के बाहर की गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए 30 मिनट तक इंतजार करना चाहिए, जिससे हादसों से बचा जा सके।