परिचय
- सवारी डिब्बा कारखाना जिसे संक्षिप्त में आईसीएफ भी कहते हैं, स्वतंत्र भारत की सबसे पुरानी उत्पादन इकाइयों में एक है। इसका उद्घाटन 2 अक्तूबर 1955 तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने चेन्नई में किया था।
उत्पादन
- आईसीएफ ने अपनी स्थापना से 65000 से अधिक डिब्बों का निर्माण किया है।
- 2019-20 में फैक्ट्री ने अभी तक का सर्वाधिक 4166 डिब्बो का उत्पादन किया था जिससे यह विश्व में रेलवे सवारी डिब्बा के उत्पादन में सबसे बड़े निर्माता के रूप में उभरी है।
- महामारी के समय 2021-22 में इसने 3101 कोचों का निर्माण करके अपनी महत्ता बताया है।
वैश्विक उपस्थिति
- सवारी डिब्बा कारखाना विभिन्न देशों जैसे थाईलैंड, बर्मा, ताईवान, जाम्बिया, फिलीपिंस, तंजानिया, यूगाण्डा, वियतनाम, नाइजीरिया, नेपाल, बांग्लादेश, मोजाम्बिक, मलेशिया, अंगोला और श्रीलंका को अब तक 800 से भी अधिक कोचों का निर्यात कर चुका है।
हरित पहल
- सवारी डिब्बा कारखाना ने पर्यावरण की सुरक्षा हेतु अनेक कदम उठाया है। जैसे सडिका के क्षेत्र में हरे-भरे बाग-बगीचों का निर्माण, बिजली के उत्पादन के लिए पवन चक्कियों और सोलर पैनलों की स्थापना आदि।
- सवारी डिब्बा कारखाना ‘जीरो डिस्चार्ज फैक्टरी’ और ‘ग्रीन वर्कशाप’ भी है।
- सवारी डिब्बा कारखाना ने अपने परिसर में ग्रीन-हाउसों की स्थापना की है जिसमे पर्यावरण संरक्षण वाले पौधे लगाये गये हैं। इस परिसर में ‘पाली हाऊस’ भी है जहाँ पौधों और वृक्षों के लिए आवश्यक बीज बोने का काम चलता है।
- सवारी डिब्बा कारखाना, भारतीय रेल का ऐसा संगठन बन चुका है जिसने पूर्णतः न्यूट्रालाइज्ड ग्रीन हाउस गैस एमिशन सिस्टम और कार्बन नेगटिव स्टेटस की उपलब्धि हासिल की है।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
- सवारी डिब्बा कारखाना परिसर में महिला सशक्ति की 9 टीमें हैं जिनमें कुल 130 महिलाएं हैं।
- विश्व के अग्रणी एवं सबसे बडे रेल कोच निर्माता के रूप में प्रसिद्ध, इस कारखाने में महिलायें वो कार्य कर रही हैं जोकि केवल पुरुष ही करते थे।
- वेल्डिंग, फिटिंग, हार्नेसिंग, आर्क वेल्डिंग, मोटरों की पेंटिग और सिंगल फेज मोटर वाइन्डिंग जैसे कठिन कार्यों को इस टीम की महिलाएँ संभाल रही हैं।
ट्रेन-18 (वंदे भारत एक्सप्रेस)
- वर्ष 2018-19 में सवारी डिब्बा कारखाना द्वारा भारत की प्रथम सेमी हाई स्पीड ट्रेन -18 का उत्पादन किया गया जोकि नई दिल्ली और वाराणसी के बीच चलती है।
- "मेक इन इंडिया" को बढ़ावा देने वाला यह कारखाना 80 प्रतिशत से अधिक उत्पाद पूर्णतः घरेलू होता है।
- पहला प्रोटोटाइप ट्रेन-18 का उत्पादन 18 महीने के रिकार्ड समय में हुआ जोकि 140 सेकेण्ड में 160 किमी/घंटा की रफ़्तार से चलने में सक्षम है।
- रेलवे इस गति को 250 किमी/घंटा तक करने की योजना बना रहा है जिसके लिए रेलवे ट्रैक को अपग्रेड करने की आवश्यकता होगी।
- अगस्त, 2023 तक 75 ट्रेन के निर्माण के अतिरिक्त इस वर्ष के बजट में पचास हजार करोड़ रूपये आवंटित किया गया है ताकि आने वाले तीन वर्षों में 400 वन्दे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जा सके।
- अभी 16 डिब्बे वाली इस ट्रेन को बनाने में 106 करोड़ रूपये का खर्च आता है।
हाल की उपलब्धिया
- आईसीएफ ने भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा ग्रीन कंपनी रेटिंग सिस्टम के तहत ग्रीनको गोल्ड स्तर के पुरस्कार का प्रतिष्ठित प्रमाण प्राप्त किया है।
- आईसीएफ ने रेलवे वाहनों और घटकों के निर्माता के अंतर्गत विशिष्ट वेल्डिंग मानक के लिए प्रतिष्ठित ईएन 15085 प्रमाणपत्र भी प्राप्त किया था। आईसीएफ ऐसा प्रमाणन हासिल करने वाली पहली भारतीय रेलवे उत्पादन इकाई है।