खबरों में क्यों?
- जैसे-जैसे भारत अपने सौर सपने को पूरा करने के लिए प्रयास कर रहा है, लूम सोलर (एक स्टार्ट-अप) और इसकी स्मार्ट कार्यप्रणाली तथा ऐसी ही अन्य कंपनिया , भारतीय सौर उद्योग को "मिशन 2030" के लिए आवश्यक सहायता प्रदान कर रही हैं
भारत की सौर ऊर्जा
- भारत में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 18 गुना बढ़ कर, मार्च 2014 के 2.63 गीगावाट से बढ़कर अक्टूबर 2021 में 47.66 गीगावाट हो गई है.
- विद्युत उत्पादन की गैर-जीवाश्म स्रोतों पर आधारित संस्थापित क्षमता में भारत की वर्तमान हिस्सेदारी 40% से अधिक है.
- 2021 में लगभग 150-54 GW की स्थापित अक्षय ऊर्जा के साथ, 2030 तक 350 GW की स्थापना का लक्ष्य है.
- 500 गीगावाट की कुल संस्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता का लगभग 55% योगदान सौर ऊर्जा से आने की उम्मीद है.
- विश्व में सौर के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार होने के बावजूद, वैश्विक सौर परिदृश्य में भारत के विकास कि अभी भी काफी संभावनाए हैं.
भारतीय सौर उद्योग के लिए बाधाएं
- रूफटॉप सोलर इंस्टालेशन के लिए सरकार के अत्यधिक प्रयासों के बावजूद, भारत ने सौर ऊर्जा लागत में वृद्धि के कारण वांछित प्रगति प्राप्त नहीं की है.
- स्वामित्व की कुल लागतः पिछले एक साल में लागत और जीएसटी में क्रमशः 25% और 7% की वृद्धि हुई है. इसके कारण ब्रेक ईवन 7 - 8 वर्ष से बढ़ गए है.
- अविकसित DISCOM पारिस्थितिकी तंत्रः वर्तमान DISCOM पारिस्थितिकी तंत्र तापीय बिजली पर निर्भर है. इसे सोलर में शिफ्ट करने से डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी.
- आयात पर निर्भरताः भारत अभी भी सौर सेल, मॉड्यूल और सौर इनवर्टर जैसे प्रमुख घटकों का आयात करता है. इससे हर साल भारी विदेशी मुद्रा का नुकसान होता है. 2021 के पहले 9 महीनों में, भारत ने 1.97 बिलियन डॉलर के सोलर वेफर्स, सेल, मॉड्यूल और इनवर्टर का आयात किया.
- प्रौद्योगिकी के उच्च औद्योगिक उत्पादन हासिल करने के लिए, घनिष्ठ उद्योग-सरकार सहयोग की कमी है
बाधाओं से निपटना
- आयात शुल्कः "मेक इन इंडिया" मिशन के तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने सौर मॉड्यूल के आयात पर 40% शुल्क लगाया है.
- पीएलआई योजनाः भारत की विनिर्माण क्षमताओं और उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरू की गई है.
- बीआईएस प्रमाणनः बीआईएस प्रमाणन ने उच्च गुणवत्ता मानकों की स्थापना की है, जिससे ग्राहकों को भी लाभ होगा
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजनाएं
सोलर रूफटॉप योजनाः
- SECI (भारतीय सौर ऊर्जा निगम) द्वारा निष्पादित रूफटॉप योजना के तहत 200 मेगावाट की परियोजनाओं का आवंटन किया गया है
- SECI आवासीय क्षेत्र, निजी गैर-लाभकारी शिक्षा संगठनों, सामाजिक क्षेत्र और स्वास्थ्य संस्थानों को 30% सब्सिडी दे रहा है.
सौर पार्क योजनाः
- एमएनआरई भारत भर में कई सौर पार्क स्थापित करने की योजना लेकर आया है, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता लगभग 500 मेगावाट है
- इस योजना के तहत सरकार सोलर पार्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है. सहायता भूमि के आवंटन, संचरण, सड़कों तक पहुंच, पानी की उपलब्धता आदि के रूप में है.
वीजीएफ (वायबिलिटी गैप फंडिंग) योजनाः
- वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना SECI द्वारा कार्यान्वित की जा रही है
- पिछले कुछ वर्षों में, SECI ने वीजीएफ तंत्र के तहत कई परियोजनाएं आवंटित की हैं.
सौर ऊर्जा सब्सिडी योजनाः
- इस योजना के तहत, आवेदक को सौर ऊर्जा संयंत्र की मूल लागत के आधार पर 50%, 75% और 90% की सीमा तक वित्तीय सहायता और पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी
भविष्य के विकल्प
- भारत को पीवी प्रौद्योगिकी में अग्रणी स्थान प्राप्त करने के लिए केंद्रित, सहयोगी और लक्ष्य संचालित अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता है.
- पीवी उद्योग और पीवी उत्पादों की खपत को बढ़ावा देने के लिए बेहतर वित्तीय बुनियादी ढांचे, मॉडल और व्यवस्था की आवश्यकता है.
- उद्योग के विकास और पीवी को अपनाने के लिए मानव संसाधनों का प्रशिक्षण और विकास आवश्यक है.
- सौर पैनल और सौर प्रणाली अपनी पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक कुशल होने के साथ, ग्राहक ऐसी तकनीक में निवेश करना चाहते हैं जिससे उन्हें प्रति वर्ग मीटर जगह में बेहतर उत्पादन मिल सके