चर्चा में क्यों?
- हाल ही में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह "अशोक स्तम्भ" प्रधानमंत्री द्वारा नई संसद भवन के शीर्ष पर 11 जुलाई 2022 को अनावरण के कारण काफी सुर्खियों में रहा।
- किसी भी देश की संस्कृति एवं सभ्यता, राष्ट्रीय एकता, अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता की पहचान उस देश के राष्ट्रीय प्रतीकों से की जाती है।
- इतना ही नहीं ये प्रतीक उस देश की राज्य संचालन नीति तथा बाह्य देशों से संबंधों का निर्धारण भी करते हैं।
नए अशोक स्तम्भ की विशेषताए
- इस स्तंभ के शिल्पकार सुनील देवरे और लक्ष्मण व्यास हैं।
- ये स्तंभ कांस्य का बना 6.5 मीटर ऊंचा है ।
- इसका वजन 9500 किलो है।
- इसे 2000 कर्मचारियों ने मिलकर बनाया।
- यह कई चरणों की प्रक्रिया- ढलाई, मिट्टी मॉडलिंग, कंप्यूटर ग्राफिक्स, कांस्य कास्टिंग और पॉलिशिंग के बाद तैयार हुआ है।
- सहारा देने के लिए 6,500 किलोग्राम की स्टील की संरचना का निर्माण। लेकिन अब इस राष्ट्रीय प्रतीक की बनावट को लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्षी दलों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया है।
अशोक स्तम्भ का संदेश
- इसमें चार जानवरों को चार दिशाओं का प्रतिनिधित्त्व करते हुए दर्शाया गया है।
- यह बुद्ध द्वारा दिए गए पहले धर्मोपदेश की याद में बनवाया गया था, जिसे धर्मचक्रप्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।
- यह सम्राट अशोक की युद्ध और शांति की नीति को दर्शाता है।
- इसमें चार शेर आत्मविश्वास, शक्ति, साहस और गौरव के संकेत।
- नीचे की ओर देवनागरी में लिखे ‘सत्यमेव जयते’ मुंडकोपनिषद का एक सूत्र है, जिसका अर्थ- सदैव सत्य की ही जीत होती है।
- इसमें चारों सिंह सभी दिशाओं में बौद्ध धर्म का प्रसार करने वाले बुद्ध के प्रतीक माने गए हैं।
- पूर्व दिशा में बना हाथी महामाया के सपने को दर्शाता है।
- पश्चिम दिशा में दौड़ता हुआ घोड़ा बुद्ध द्वारा राजसी जीवन के त्याग को दर्शाता है।
- उत्तर दिशा में बना सिंह ज्ञान की प्राप्ति को दर्शाता है।
- ये दहाड़ते हुए सिंह धर्म चक्र प्रवर्तन का संदेश देते हैं।
- दक्षिण दिशा में बना बैल वृषभ राशि के उस चक्र समय को दर्शाता है, जिसमें बुद्ध का जन्म हुआ था।
इसके संवैधानिक प्रावधान
- 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत।
- यह महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों, मुद्राओं पर अंकित होता है।
- इस प्रतीक का उपयोग मुख्यतया संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों जैसे- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा उच्च अधिकारियों द्वारा ही किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय प्रतीकों के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारतीय राष्ट्रीय चिह्न (दुरुपयोग रोकथाम) कानून, 2005 बनाया गया।
- आम नागरिक द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है, इसके दुरूपयोग की स्थिति में दो साल की कैद या 5 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
अशोक स्तंभ का इतिहास
- सम्राट अशोक मौर्य वंश का तीसरा शासक प्राचीन काल में 273 ई.पू. से 232 ई.पू. तक भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक था।
- अशोक ने कलिंग के युद्ध के बाद अपनी क्रूरता त्यागकर बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार के लिए देश-विदेश में स्तूपों तथा स्तंभों का निर्माण कराया।
- सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ चुनार के बलुआ पत्थर से निर्मित लगभग 45 फुट लंबा है।
- इस स्तंभ पर तीन लेख लिखे गए हैं पहला लेख अशोक के समय का ब्राह्मी लिपि में है, जबकि दूसरा लेख कुषाण काल एवं तीसरा लेख गुप्त काल का है।
भारत में अशोक स्तंभ के केंद्र
- सारनाथ, इलाहाबाद, वैशाली, दिल्ली, सांची, निगाली सागर, रुम्मिनदेई, लुंबिनी (नेपाल) रामपुरवा, लौरिया, नंदनगढ़, चंपारण (बिहार) एवं अमरावती में भी अशोक के स्तंभ स्थित हैं।