चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत- ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) की पुष्टि की। यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह एक दशक से अधिक समय के बाद विकसित देश के साथ भारत के लिए इस तरह का पहला समझौता है।
ETCA के उद्देश्य
- इस सौदे में अगले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लगभग $50 बिलियन तक बढ़ाने की क्षमता है।
- इससे स्टार्ट-अप अर्थव्यवस्था में कम से कम 10 लाख नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।
- यह ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को 1.4 बिलियन उपभोक्ताओं के विशाल भारतीय बाजार का दोहन करने का अवसर प्रदान करता है। दूसरी ओर, यह भारतीय निर्यातकों को अपने मूल्य वर्धित उत्पादों के विपणन का अवसर प्रदान करता है।
- यह अन्य विकसित देशों के साथ भविष्य के एफटीए के लिए एक मॉडल प्रदान करता है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक संबंध
- भारत, ऑस्ट्रेलिया का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है जबकि ऑस्ट्रेलिया, भारत का 17वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- 2021 तक ऑस्ट्रेलिया के निर्यात और आयात में भारत की हिस्सेदारी क्रमशः 3.7 प्रतिशत और 2.4 प्रतिशत है। ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार वर्तमान में लगभग 25 बिलियन डॉलर है।
- भारत मुख्य रूप से कच्चे माल का आयात करता है। ऑस्ट्रेलिया से इसके 82 प्रतिशत आयात में कोयला, सोना, तांबा अयस्क, एल्यूमीनियम ऑक्साइड, तरलीकृत प्राकृतिक गैस, मैंगनीज अयस्क आदि शामिल हैं।
- ऑस्ट्रेलिया को भारत के निर्यात का 72 प्रतिशत निर्मित सामान जैसे- पेट्रोलियम, औषधियां, हीरे, आभूषण, रेलवे कोच और वाहन, मिल्ड चावल तथा शाकनाशी हैं।
- दोनों देश जापान के अलावा त्रिपक्षीय आपूर्ति शृंखला लचीलापन पहल (SCRI) में भागीदार हैं।
ETCA का विवरण
- इंडिया-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए से बिना किसी प्रतिबंध के 100 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर शुल्क समाप्त हो जाएगा। भारत के श्रम प्रधान निर्यात जैसे कपड़ा और परिधान, कृषि और मछली उत्पाद, चमड़ा, जूते तथा फर्नीचर, कई इंजीनियरिंग उत्पाद, आदि को लाभ होगा, जो अब तक ऑस्ट्रेलिया में 4-5 प्रतिशत आयात शुल्क प्राप्त करता है।
- यह समझौता ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उत्पादों की 6,000 से अधिक व्यापक श्रेणियों तक शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करेगा।
- फार्मास्यूटिकल्स- यह ऑस्ट्रेलिया को पेट्रोलियम उत्पादों के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात है। इस सौदे से इसके निर्यात को और बढ़ावा मिलेगा।
- कोयला- भारत के 24 अरब डॉलर के कुल कोयला व्यापार घाटे में से ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा 11 अरब डॉलर है। इस सौदे से कोयले को भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण इनपुट बनाने की संभावना है।
- ऑस्ट्रेलिया, भारतीय वाइन के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देगा, जबकि भारत ऑस्ट्रेलियाई वाइन पर आयात शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत करेगा।
- सेवा क्षेत्र- इस सौदे में लगभग 135 सेवा क्षेत्र शामिल हैं। यह योग शिक्षकों और भारतीय रसोइयों के लिए 1,800 का वार्षिक कोटा प्रदान करता है और ऑस्ट्रेलिया जाने वाले भारत के एक लाख से अधिक छात्रों के लिए प्रतिबद्धता प्रदान करता है।
- पण्य वस्तु व्यापार- इस सौदे से 2026-27 तक द्विपक्षीय व्यापार निर्यात में 10 बिलियन डॉलर की वृद्धि होने की संभावना है।
- व्यापार समझौता आईटी/आईटीईएस से संबंधित लंबे समय से लंबित दोहरे कराधान से बचाव समझौते (डीटीएए) को भी हल करता है जिससे सालाना 200 मिलियन डॉलर की बचत होगी।
एफटीए का महत्त्व
- आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना।
- निर्यातकों और आयातकों के लिए नए बाजार खोलना।
- विदेशी निवेश के अवसर सृजित करना।
- घरेलू उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना और सरकारी सहायता पर उनकी निर्भरता कम करना।
- स्थानीय उद्योगों के लिए सब्सिडी पर खर्च कम करने में सरकारों की मदद करना।
आगे की राह
- व्यापार सौदा भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में मील का पत्थर साबित होगा जो न केवल आपसी सहयोग को बढ़ाएगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।