खबरों में क्यों?
- भारत में और विश्व स्तर पर बढ़ती कीमतों ने बहुत ध्यान आकर्षित किया है. 10 नवंबर, 2021 को, संयुक्त राज्य के श्रम विभाग ने अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 6.2% दर्ज की
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में बढ़कर 4.5% हो गई है
मुद्रास्फीतिः- मूल्य में वृद्धि
- मुद्रास्फीति एक निश्चित अवधि में कीमतों में वृद्धि की दर है
- मुद्रास्फीति एक व्यापक पैमाना है, जिसमे दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत में समग्र वृद्धि, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास या देश में रहना आदि सम्मलित है
- मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में गिरावट का संकेत है
- उच्च मुद्रास्फीति लोगों की क्रय शक्ति को नष्ट कर देती है
मुद्रास्फीति की माप
भारत में मुद्रास्फीति को दो मुख्य सूचकांकों द्वारा मापा जाता हैः-
- थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई): बड़े व्यवसायों द्वारा छोटे व्यवसायों को आगे बेचने के लिए बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में अंतर की गणना डब्ल्यूपीआई द्वारा की जाती है
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई): वस्तुओं और सेवाओं जैसे भोजन, चिकित्सा देखभाल, परिवहन आदि की कीमतों में अंतर की गणना सीपीआई द्वारा की जाती है
मंहगाई:- कारण
- उच्च मांग और कम उत्पादन मांग आपूर्ति अंतर पैदा करते हैं, जिससे कीमतों में वृद्धि होती है
- अधिक संचलन के कारण धन अपनी क्रय शक्ति खो देता है और इससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है
- जब लोगों के पास अधिक पैसा होता है, तो वे अधिक खर्च करते हैं और इससे मांग में वृद्धि होती है
- माल की उत्पादन लागत में वृद्धि भी मुद्रास्फीति का कारण बनती है क्योंकि अंतिम उत्पाद की लागत बढ़ जाती है
अमेरिकी मुद्रास्फीति चिंता का विषय क्यों है?
- पिछले तीन दशकों में 6.2% साल दर साल की सबसे बड़ी वृद्धि दर है
- फेडरल बैंक 2% तक मुद्रास्फीति दर का लक्ष्य रखता है
- अमेरिका में खुदरा मुद्रास्फीति मई 2020 से लगभग हर महीने तेजी से बढ़ रही है
- अधिकांश अर्थशास्त्री और नीति निर्माताओं के लिए यह आश्चर्य की बात है, जो की लंबे समय तक मंदी से बचने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे थे
भारत पर प्रभाव
- उच्च आयातित मुद्रास्फीति
- उच्च मुद्रास्फीति के कारण, वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं ढीली मौद्रिक नीति को छोड़ देंगी
- भारत पर दो बड़े प्रभाव
- बाहर पैसे जुटाने का खर्चा ज्यादा रहेगा
- मुद्रास्फीति और उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए आरबीआई को धक्का दिया जाएगा
अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति का कारण
- अमेरिका में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तेजी से शुरू होने के कारण, अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ
- अमेरिकी सरकार ने उपभोक्ताओं और अपनी नौकरी गंवाने वालों को राहत देने के लिए अरबों डॉलर जरुरतमंदों को दिए
- इनके कारण, मांग में सुधार हुआ है लेकिन आपूर्ति सुचारु रूप से ना हो सकी है
- सामान्य समय के दौरान भी, आपूर्ति श्रृंखलाओं को सामान्य रूप से काम करना शुरू करने और मांग को पूरा करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है
- आर्थिक सुधार की गति और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के बीच असामंजस्य के कारण मांग और आपूर्ति में अंतर आया है
अन्य अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति
- दुनिया की अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि का सामना कर रही हैं
भारत में स्थिति
- भारत में, उच्च मुद्रास्फीति महामारी से पहले से उपस्थित है
- 2019 के अंत से, मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के 2% से 6% के लक्ष्य क्षेत्र से ऊपर रही है
- महामारी ने आपूर्ति पक्ष पर ब्रेक लगा दिया है, हालांकि मांग का स्थिति अभी भी पूर्व-कोविड स्तरों से नीचे है
भारत में मुद्रास्फीति की आगामी स्थिति
- मुद्रास्फीति और बढ़ेगी क्योंकि मांग बढ़ रही है परन्तु आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ है
- कोर मुद्रास्फीति दर 6% से ऊपर है
- कीमतों में वैश्विक वृद्धि से भारत की महंगाई और बढ़ेगी