यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome)
चर्चा का कारण
- वर्ष 2016 में क्यूबा, चीन और अन्य देशों में अमेरिकी राजनयिक एक रहस्यमय न्यूरोलॉजिकल बीमारी जिसे हवाना सिंड्रोम कहा जा रहा है, से प्रभावित हुए थे। अमेरिका की नेशनल एकेडेमीस ऑफ साइंसेस (National Academies of Sciences-NAS) की वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार यह बीमारी संभवतः निर्दिष्ट’ माइक्रोवेव विकिरण (directed microwave radiation) के कारण होती है।
हवाना सिंड्रोम
- वर्ष 2016 में क्यूबा में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने शिकायत की थी कि उन्हें उल्टी, नाक से खून और बेचौनी हो रही है। इस मामले के बाद इसे हवाना सिंड्रोम कहा जाने लगा था।
- कहा जाता है कि अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ छिपकर सोनिक वेपन का इस्तेमाल किया गया था। अमेरिकी अधिकारियों ने इसी तरह की घटनाओं की शिकायत चीन और रूस में भी की है। उन्होंने कहा कि दूतावास की इमारत के कुछ कमरों में उन्हें इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ा।
- इस बीमारी के कुछ लक्षणों में मतली (मिचली), थकान, मानसिक परेशानी और चक्कर आना शामिल हैं।इस बीमारी से संक्रमित होने पर, रोगी को पीड़ादायक सनसनाहट और भिनभिनाहट की आवाज महसूस होती है।
माइक्रोवेव हथियार
- ये एक प्रकार के प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार (direct energy weapons) हैं। इस हथियार के द्वारा एक लक्ष्य पर ध्वनि, लेजर या माइक्रोवेव ऊर्जा केंद्रित की जाती है। जो लोग उच्च तीव्रता वाले माइक्रोवेव पल्सेस के संपर्क में आते हैं, वे सिर में एक क्लिक या भनभनाने की आवाज महसूस करते हैं। इस हथियार के तीव्र और दीर्घकालिक दोनों प्रभाव हो सकते हैं। हालाँकि इसके कारण शारीरिक क्षति का कोई संकेत नहीं दिऽता है।
- माइक्रोवेव हथियार की वेवलेंथ एक मि.मी. से लेकर एक मीटर तक होती है। इनकी फ्रीक्वेंसी 300 मेगाहर्ट्ज (100 सेंटीमीटर) और 300 गिगाहर्ट्ज (0.1 सेंटीमीटर) के बीच होती है। इन्हें हाई-एनर्जी रेडियो फ्रीक्वेंसी भी कहा जाता है।
- युद्ध स्तर पर माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल कम ही देऽा गया है। इसका उपयोग चेतावनी देने के लिए किया जाता है। यदि दुश्मनों पर माइक्रोवेव हथियार से हमला किया जाए तो उन्हें आँखों की समस्या, शरीर में हल्के घाव और अंदरूनी चोटें लग सकती हैं। फिलहाल भारत, चीन, रूस, ब्रिटेन इस हथियार को विकसित करने में जुटे हुए हैं।