चर्चा में क्यों?
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 48वें ग्रुप-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी का दौरा किया।
- जर्मनी ने इस साल जी-7 की अध्यक्षता की है।
- भारत के अलावा, जर्मनी के चांसलर ने अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को भी आमंत्रित किया।
- प्रधानमंत्री ने दो सत्रों में प्रतिभाग किया जिसमें पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र शामिल थे।
- उन्होंने सम्मलेन में भाग लेने वाले कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।
जी-7 के बारे मे
- यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1975 ई- में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और जापान जैसे छह सदस्य देशों ने की थी।
- 1976 ई. में कनाडा के शामिल होने से यह जी-7 बन गया।
- इसके बाद 1998 में, USSR के विघटन के बाद, रूस G-7 का हिस्सा बन गया और आधिकारिक तौर पर यह जी-8 बन गया।
- यूक्रेन की संप्रभुता के उल्लंघन (क्रीमिया पर कब्जा करने हेतु) के कारण, समूह के देशों ने रूस को निष्कासित करने का निर्णय लिया जिससे यह पुनः जी-7 बन गया।
- आर्थिक शासन, वैश्विक सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हितों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए समूह की सालाना बैठक होती है।
- अगले साल इस समूह की बैठक की अध्यक्षता जापान के पास होगी।
जी-7 की स्थिति
- समिट की वेबसाइट के अनुसार, जी-7 देशों में विश्व की जनसंख्या का 10%, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 31% और वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का 21% शामिल है।
- चीन और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था और दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश, जी-7 का हिस्सा नहीं हैं।
- समूह का कोई आधिकारिक सचिवालय नहीं है। इस समूह की अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों के बीच बदलती रहती है।
- यह विकसित देशों का समूह है जो वैश्विक व्यापार में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
- इनमें अमेरिका और जर्मनी विशेष रूप से प्रमुख निर्यातक देश हैं। दोनों ने 2021 में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निर्यात किया है।
- सभी जी-7 देशों में, सार्वजनिक क्षेत्र का वार्षिक व्यय राजस्व से अधिक है। अधिकांश जी-7 देशों में सकल ऋण का उच्च स्तर है, विशेष रूप से जापान (जीडीपी का 263%), इटली (जीडीपी का 151%) और अमेरिका (जीडीपी का 133%)।
सम्मेलन की प्रमुख बाते
- जी-7 देशों ने विकासशील और मध्यम आय वाले देशों के लिए गेम चेंजिंग और पारदर्शी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वितरित करने के लिए वैश्विक बुनियादी ढांचा और निवेश (पीजीआईआई) के लिए 600 अरब डॉलर की सामूहिक पहल शुरू की है।
- पीएम मोदी ने नागरिकों के लिए पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहन हेतु LiFE (पर्यावरण के लिए अच्छी जीवनशैली) अभियान के वैश्विक प्रयासों पर प्रकाश डाला।
- ग्रुप के देशों ने पेरिस जलवायु समझौते का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अक्षय ऊर्जा की दिशा में अधिकतम प्रयासों की भी वकालत की।
- सदस्य देशों ने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के बारे में भी चर्चा की और रूस पर यूरोपीय देशों की तेल निर्भरता को सुलझाने के लिए रणनीति सुझाया।
- युद्ध के कारण, ऊर्जा की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है साथ ही अधिकांश देशों में खाद्य संकट भी उत्पन्न हुआ।
भारत की पहल
- भारत पेरिस जलवायु समझौते का हस्ताक्षरकर्ता है, यही कारण है कि भारत ने अक्षय ऊर्जा (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, बायोमास, जैव ईंधन आदि), हरित परिवहन, इलेक्ट्रिक मोटर आदि की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
- भारत ने अक्षय स्रोतों से 2022 तक 175 GW और 2030 तक 500 GW उत्पादन का लक्ष्य रखा है। मार्च 2022 तक, भारत ने लगभग 110 GW का उत्पादन किया।
- आज भारत पर्यावरण के अनुकूल निवेश के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है।
- भारत अक्षय बैटरियों के साथ-साथ हरित हाइड्रोजन में वैश्विक नेता बनने के लिए उत्कृष्ट प्रयास कर रहा है।
- भारत में दुनिया का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है।
- भारत भी वर्तमान में पेट्रोल के साथ 10% इथेनॉल का उपयोग कर रहा है और अगले 3 वर्षों में 20% का लक्ष्य रखा है।
- यह आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है।