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विषय (Topic): गूगल-पे पर नियमों के उल्लंघन का आरोप (Google Pay Violation)
चर्चा का कारण
- हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने गूगल-पे द्वारा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब मांगा है।
पृष्ठभूमि
- याचिका में गूगल-पे ऐप्प पर आरबीआइ के डाटा स्थानीयकरण, भंडारण और साझा करने के मानकों आर्थिकी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था।
- याचिका में गूगल इंडिया डिजिटल सर्विस को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस) प्रक्रिया के तहत अपने ऐप्प पर डाटा का भंडारण नहीं करने और इसे किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं करने आर्थिकी एक शपथपत्र दायर करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
- याचिका में दावा किया गया है कि कंपनी अक्टूबर 2019 के UPI प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों (UPI procedural guidelines) का उल्लंघन करते हुए संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा संग्रहीत कर रही है।
- UPI प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों के तहत इस तरह के डेटा को केवल भुगतान सेवा प्रदाता (Payment Service Provider - PSP) बैंक प्रणालियों द्वारा संग्रहीत करने की अनुमति दी गयी है।
क्या है गूगल-पे ऐप?
- Google पे ऐप्प उपयोगकर्ताओं को डिजिटल लेनदेन, लेनदेन निधि हस्तांतरण और बिल भुगतान करने की अनुमति देता है।
- यह सॉफ्रटबैंक समर्थित भारत में पेटीएम (Paytm) और फोन पे (Phone Pay) के साथ प्रतिस्पधा र् करता है, जिनका भारत में प्रमुखता से उपयोग किया जाता है।
- फेसबुक का व्हाट्सएप भी निकट भविष्य में इसी तरह की सेवा प्रदान करने की योजना बना रहा है।
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस क्या है?
- एकीकृत भुगतान अंतरपृष्ठ (Unified Payments Interface-UPI) भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया ऑनलाइन भुगतान का एक नया तरीका है।
- यह अंतर बैंक लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है।
- इस इंटरफेस को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- यह मोबाइल प्लेटफार्म पर दो बैंक खातों के बीच तुरंत धनराशि स्थानांतरित करने का काम करता है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई)
- भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणालियों के संचालन को एक स्तर पर लाने के लिए एनपीसीआई का गठन किया गया था।
- इसकी स्थापना 2008 में कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में की गयी थी।
- इसने देश में एक मजबूत भुगतान और निपटान बुनियादी ढांचा तैयार किया है।
- एनपीसीआइ द्वारा रुपे कार्ड, तत्काल भुगतान सेवा (आइ र्एमपीएस), यूपीआई, भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी (भीम), भीम आधार, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनइ र्टीजी फास्ट टैग) और भारत बिल पे जैसे खुदरा भुगतान उत्पादो के माध्यम से भुगतान की सुविधा को विकसित किया गया है।
भारत के लिए डेटा स्थानीयकरण क्यों आवश्यक
- गौरतलब है कि प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा किया गया व्यापक डेटा संग्रह, उन्हें देश के बाहर भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा को संसाधित और मुद्रीकृत (monetize) करने में सक्षम बनाता है।
- मशीन लर्निंग (ML), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियां विभिन्न डेटा से मूल्य संवर्धन कर सकती हैं। यह कुछ सीमाओं के भीतर समाहित नहीं होने पर विनाशकारी हो सकती है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग के आगमन के साथ ही भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा देश की सीमाओं के बाहर चला जाता है, जिससे किसी भी विवाद के उत्पन्न होने पर अधिकार क्षेत्र संबधी संघर्ष होता है।