भौगोलिक संकेत क्या है?
- भौगोलिक संकेत (जीआई) एक निश्चित उत्पाद को दिया गया एक संकेत या नाम है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति या किसी शहर, क्षेत्र या देश की उत्पत्ति से संबंधित है
जीआई टैग का महत्व:
- जीआई टैग को एक प्रमाणीकरण के रूप में माना जाता है कि उस विशेष उत्पाद का उत्पादन पारंपरिक तरीकों के अनुसार किया जाता है तथा इसमें कुछ विशिष्ट गुण होते हैं या इसकी भौगोलिक उत्पत्ति के कारण इसकी एक विशेष प्रतिष्ठा होती है
ग्रामीण विकास में जीआई का महत्व
ज्यादातर पारंपरिक उत्पाद जो पीढि़यों से ग्रामीण समुदायों द्वारा उत्पादित किए जाते हैं और अपनी सटीक गुणवत्ता के लिए बाजार में ख्याति प्राप्त करते हैं, उन्हें जीआई टैग मिलता है। ग्रामीण विकास पर प्रभाव निम्नानुसार हो सकता हैः -
- पारंपरिक विशेषज्ञता और परंपराओं का संरक्षण-
- आपूर्ति शृंखला किसी उत्पाद की प्रतिष्ठा के आसपास बनाई जा सकती है-
- जीआई उत्पाद के लिए अधिक कीमत
- उत्पादों के प्राकृतिक संसाधनों या तत्वों को संरक्षित किया जा सकता है-
- पर्यटन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सकता है
भारत में जीआई टैग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए उपाय
- एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत के अधिकृत उपयोगकर्ता के पंजीकरण के लिए कम शुल्क संरचना-
- सोशल मीडिया अभियान शुरू किए गए, जैसे
- एक जीआई उपहार दें
- जीआई स्पॉट करें
- डीपीआईटीटी और सीआईआई ने मिलकर जीआई उत्पादकों को अपने उत्पाद को आभासी रूप से प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से अपनी तरह का पहला भारत काभौगोलिक संकेत महोत्सव शुरू किया
हाल ही में दिये गए जीआई टैग
- हरमल मिर्च, गोवाः- अपने मसालेदार स्वाद और उच्च रंग के लिए लोकप्रिय। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और सोडिय म जैसे खनिजों की अच्छी मात्रा होती है
- उत्तराखंड रिंगल क्राफ्ट, उत्तराखंडः- रिंगल बुनाई एक निफ्टी और सदियों पुरानी कला है। कारीगर बुनाई के लिए इन क्षेत्रों में उगने वाले बौने रिंगल की एक विशेष प्रजाति का उपयोग करते हैं। रिंगल लगभग पानी प्रतिरोधी है-
- मुनस्यारी राजमा, उत्तराखंडः- यह उत्तराखंड की ऊँची तथा खनिज समृद्ध भूमि में उगाया जाता है- यह अपने उत्कृष्ट पाक गुणों, उच्च पोषण मूल्य और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है-
- उत्तराखंड ऐपण, उत्तराखंडः- यह एक विशिष्ट महिला कला है जिसकी एक पेंटिंग के रूप में अपनी अनूठी पहचान है, जो खाली दीवारों और जमीन पर बनाया जाता है - यह भाग्य और उर्वरता का प्रतीक है-
- कुमाऊं च्युरा ऑयल, उत्तराखंडः- इस बहुउद्देशीय, पौष्टिक और स्वास्थ्यकर तेल का उपयोग भोजन में और विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। च्युरा को उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी माना जाता है-
- भोटिया दन, उत्तराखंडः- ये नरम गर्म अद्वितीय और टिकाऊ हाथ से बुने हुए कालीन, पारंपरिक डिजाइन तथा पैटर्न के साथ शुद्ध ऊन से बने होते हैं, जो राज्य के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बुने गए पारंपरिक भोटिया संस्कृति विषयों से प्रेरित होते हैं।
- नागा ककड़ी, नागालैंड - इसका एक विशिष्ट स्वाद होता है और इसे पूरी तरह से जैविक रूप से उगाया जाता है। यह कैलोरी में कम तथा पोटेशियम में उच्च है और इसमें पानी का उच्च प्रतिशंत होता है और इसे स्पोर्ट्स ड्रिंक के विकल्प के रूप में परोसा जा सकता है।
- दल्ले खुरसानी, पश्चिम बंगाल और सिक्किमः- लाल चेरी काली मिर्च जिसे स्थानीय रूप से दल्ले खुरसानी के नाम से जाना जाता है, में उच्च तीक्ष्णता और विशिष्ट सुगंध का दोहरा संयोजन होता है जो पूरी तरह से खेती के जैविक तरीके से उगाया जाता है।
- मिजो जिंजर, मिजोरमः- यह अपनी उच्च मात्रा में जिंजरोल और वाष्पशील तेल के लिए प्रसिद्ध है। अदरक की यह किस्म पारंपरिक पर्यावरण के अनुकूल, किफायती तरीकों का उपयोग करके उत्पादित की जाती है जो स्थानीय संसाधनों के ज्ञान और श्रम का उपयोग करती है