चर्चा में क्यों?
- भारत के जी-20 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने महीनों के कठिन परिश्रम के बाद जी-20 नई दिल्ली घोषणापत्र नामक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की। विज्ञप्ति में विभिन्न मुद्दों पर दी गई चर्चाओं को स्थान दिया गया है। इसे अलग तरीके से तैयार किया गया है, न कि सामान्य पैराग्राफ के रूप में, जो संयुक्त घोषणा में संरचित होते हैं।
प्रस्तावना
- हम एक पृथ्वी, एक परिवार हैं और हमारा भविष्य एक है।
- जी-20 के नेताओं की "वसुधैव कुटुंबकम" विषय के तहत 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में बैठक हुई।
- जी-20 के सदस्य निम्न के लिए प्रतिबद्ध हैं:
- मजबूत, सतत, संतुलित और समावेशी विकास में तेजी लाना।
- सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन में तेजी लाना।
- एक एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए निम्न-जीएचजी/निम्न-कार्बन उत्सर्जन, जलवायु-लचीला और पर्यावरणीय रूप से सतत विकास मार्गों को अपनाना।
- जी-20 विकास और जलवायु चुनौतियों का समाधान करने, सतत विकास के लिए जीवन शैली को बढ़ावा देने (LiFE) और जैव विविधता, जंगलों और महासागरों के संरक्षण के लिए अपने कार्यों में तेजी लाएगा।
- भविष्य में स्वास्थ्य आपात स्थितियों के विरुद्ध बेहतर तैयारी के लिए विकासशील देशों में चिकित्सा संबंधी उपायों तक पहुंच में सुधार और अधिक आपूर्ति और उत्पादन क्षमता की सुविधा प्रदान करना।
- विकासशील देशों के ऋण मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करना।
- एसडीजी हासिल करने के लिए वित्तपोषण बढ़ाना।
- पेरिस समझौते के परिणामों को प्राप्त करने के लिए अधिक प्रयास और संसाधन।
- बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के लिए सुधारों को आगे बढ़ाना।
- सतत और समावेशी विकास के लिए डिजिटल सेवाओं और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तक पहुंच में सुधार करना।
- सतत, गुणवत्तापूर्ण, स्वस्थ, सुरक्षित और लाभकारी रोजगार को बढ़ावा देना।
- लैंगिक अंतर को कम करना और निर्णय लेने वालों के रूप में अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सार्थक भागीदारी।
- वैश्विक निर्णय लेने में विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करना।
पृथ्वी, लोगों, शांति और समृद्धि के लिएः
- दुनिया भर में युद्धों और संघर्षों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण अपार मानवीय पीड़ा से अत्यधिक चिंतित।
- जी20 स्वीकार करता है कि भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।
- यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा को जन्म दिया है। इसने आपूर्ति शृंखला, वृहत-वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति और विकास को प्रभावित किया है।
- सभी राष्ट्रों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया गया।
- आज का समय युद्ध का नहीं है।