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विषय (Topic): विदेशी योगदान विनियमन संशोधन विधेयक 2020 (Foreign Contribution Regulation Amendment Bill 2020)
चर्चा का कारण
- हाल ही में विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया गया है। यह विधेयक विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 में संशोधन करता है।
पृष्ठभूमि
- यह विधेयक व्यक्तियों, संघों और कंपनियों के लिए विदेशी योगदान की प्राप्ति तथा उपयोगिता को नियंत्रित करता है।
- विदेशी योगदान से तात्पर्य किसी विदेशी निकाय द्वारा मुद्रा, सुरक्षा या लेख (निर्दिष्ट मूल्य से परे) का दान या हस्तांतरण है।
संशोधन के मुख्य प्रावधान
- संशोधन अधिनियम के द्वारा , कुछ व्यक्तियों को किसी भी विदेशी योगदान को स्वीकार करने के लिए निषेध कर दिया गया है। जिसमें चुनावी उम्मीदवार ,समाचार पत्रें के संपादक या प्रकाशक, न्यायाधीश, सरकारी कर्मचारी, किसी भी विधायिका के सदस्य, तथा राजनीतिक दल सम्मिलित हैं।
- अधिनियम के तहत, विदेशी योगदान को किसी अन्य व्यक्ति को तब तक स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है जब तक कि ऐसे व्यक्ति को विदेशी योगदान स्वीकार करने के लिए पंजीकृत नहीं किया जाता है।
- यदि व्यक्ति प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकृत नहीं है तो उसे केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी। अधिनियम के तहत प्राप्तकर्त्ता शब्द में एक व्यक्ति, एक एसोसिएशन या एक पंजीकृत कंपनी शामिल है।
- अधिनियम में कहा गया है कि पंजीकृत होने या अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त किसी भी व्यक्ति को पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड, किसी संस्था को अपने पदाधिकारियों, निदेशकों या प्रमुख अधिकारियों की आधार संख्या प्रदान करनी होगी ।
- विदेशी निकाय होने की स्थिति में उन्हें पहचान के लिए पासपोर्ट या ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड की एक प्रति प्रदान करनी होगी।
- अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत व्यक्ति को केवल उनके द्वारा निर्दिष्ट एक निर्धारित बैंक की एक शाखा में विदेशी योगदान को स्वीकार करना होगा।
- विदेशी योगदान के अलावा कोई धन इस खाते में प्राप्त या जमा नहीं किया जाना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति ने (जिसने विदेशी अंशदान प्राप्त करने की अर्हता प्राप्त की हो) नियमों का उलंघन किया हो तो केंद्र सरकार उनके पंजीकरण को रद्द करने की क्षमता रखती है।
- अधिनियम के तहत, हर व्यक्ति को, जिसे पंजीकरण का प्रमाण पत्र दिया गया है, पंजीकरण समाप्ति के छह महीने के भीतर प्रमाणपत्र को नवीनीकृत करना होगा।
- अधिनियम के तहत, सरकार किसी व्यक्ति के पंजीकरण को 180 दिनों से अधिक की अवधि के लिए निलंबित कर सकती है। इस तरह के निलंबन को अतिरिक्त 180 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
निष्कर्ष
- यह सत्य है कि कई संस्थान विदेशी धन प्राप्त कर सरकार पर दबाव समूह का कार्य कर रहे थे जिन्हे नियंत्रित करना आवश्यक है, किन्तु राजनैतिक दुश्मनी इसका आधार नहीं हो सकती। जनादेश प्राप्त सरकार की मंशा पर सभी को विश्वास रखना होगा।
- परन्तु सरकार के लिए भी आवश्यक है कि वह विभिन्न हितधारकों के पास विधेयक के प्रावधानों को भेजकर उचित संशोधन की मांग करे तथा इसे पब्लिक फोरम पर रखा जाए, जिससे लोकतंत्र के तत्वार्थ की प्राप्ति हो सके।