खबरों में क्यों?
- 11 अक्टूबर 2021 को, गृह मंत्रालय ने एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से सम्बंधित राज्यों में बीएसएफ की शक्तियों के प्रयोग के संदर्भ में बदलाव किए हैं.
अधिसूचना
- बीएसएफ के नए अधिकार क्षेत्र में अब मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय राज्यों और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों का पूरा क्षेत्र और गुजरात, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम राज्यों में भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के अन्दर का क्षेत्र शामिल है
क्षेत्रधिकार परिवर्तन के कारण
- राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं ने गृह मंत्रालय को यह निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया है
- तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने से अफगान-पाक क्षेत्र में भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा मिला है, जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में भारत में सीमा पार आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हो सकती है
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों में वृद्धि के साथ-साथ पंजाब में पाकिस्तानी ड्रोन द्वारा हथियार गिराए जाने की घटनाओं में वृद्धि ने चिंता बढ़ाई है
- बांग्लादेश सीमा पर अवैध प्रवास, मवेशियों और नशीले पदार्थों और नकली भारतीय मुद्रा नोटों (FICN) की तस्करी भी चिंता का विषय है
बीएसएफ का मत
- बीएसएफ ने कहा कि यह संशोधन, सीमा सुरक्षा बल को सीमा पार अपराधों को
प्रभावी ढंग से रोकने में मदद करेगा और नया संशोधन पंजाब, पश्चिम बंगाल, गुजरात,
राजस्थान और असम के सीमावर्ती राज्यों में इसके संचालन के लिए
"एकरूपता" लाने में सहायक होगा
बीएसएफ की शक्तियों में परिवर्तन
- इसका अधिकार क्षेत्र केवल दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और पासपोर्ट अधि नियम, 1967 के तहत प्राप्त शक्तियों के संबंध में विस्तारित किया गया है. बीएसएफ के पास वर्तमान में इन कानूनों के तहत गिरफ्तारी और तलाशी लेने की शक्तियां हैं
- एनडीपीएस अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और कुछ अन्य कानूनों के तहत गिरफ्तार करने, तलाशी लेने और जब्त करने का भी अधिकार है. इन कानूनों के तहत इसका अधिकार क्षेत्र नहीं बदला गया है, यानी इनके तहत इसकी शक्तियां पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में सीमा के अंदर केवल 15 किमी तक ही रहेंगी, और गुजरात में 80 किमी तक ही रहेंगी
बीएसएफ को ये शक्तियां क्यों और कब मिली
- 1969 में, बीएसएफ को पहली बार विदेशी अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम, विदेशी मुद्रा कानून और सीमा शुल्क अधि नियम जैसे कुछ कानूनों के संबंध में सीआरपीसी के तहत गिरफ्तार करने और तलाशी लेने का अधिकार मिला
- उस समय, सीमावर्ती इलाकों में बहुत कम आबादी थी और मीलों तक शायद ही कोई पुलिस स्टेशन था. सीमा पार अपराधों को रोकने के लिए यह आवश्यक समझा गया कि बीएसएफ को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया जाए
परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया
- असम सरकार ने निर्णय का स्वागत किया है और विश्वास व्यक्त किया है कि राज्य पुलिस के साथ समन्वय में, सीमा पार तस्करी और अवैध प्रवास पर रोक लगाने में मदद मिलेगी
- पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकारों ने इसे "संघवाद पर सीधा हमला" और "राज्य के अधिकारों का उल्लंघन" करार दिया है
लागू करने की प्रक्रिया
- अब तक, राज्य पुलिस और सीमा बल कुछ मतभेदों के साथ मिलकर काम कर रहे थे. लेकिन अब, इस मुद्दे का राजनीतिकरण होने से, भविष्य में समन्वय में कठिनाइयाँ आने पर कार्यान्वयन मुश्किल हो सकता है
भविष्य के विकल्प
- स्थानीय रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषाओं पर कर्मियों को संवेदनशील बनाना चाहिए ताकि बीएसएफ सीमावर्ती निवासियों के साथ संवाद स्थापित कर सीमावर्ती क्षेत्रें को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने में उनका समर्थन हासिल कर सके.
- केंद्र सरकार को अधिसूचना के क्रियान्वयन हेतु दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए.
- जिला और राज्य समन्वय समितियों जैसी संरचनाएं भी स्थापित करनी चाहिए और सभी संबंधित एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल हासिल करने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुत्तिफ़ करनी चाहिए