यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता (Educational Freedom in India)
चर्चा का कारण
- शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक में भारत का निराशाजनक स्कोर देश की शिक्षा
प्रणाली की समस्याओं को दर्शाता है। गौरतलब है कि भारत ने सऊदी अरब (0.278) और
लीबिया (0.238) के स्कोर की तुलना
में मामूली बढ़त के साथ 0.352 अंक प्राप्त किया है जो बेहद खराब प्रदर्शन को प्रदर्शित करता है।
प्रमुख बिन्दु
- पिछले पांच वर्षों में, भारत के शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक (एएफआई) में 0.1 अंकों की गिरावट दर्ज की है।
- 0.971 के स्कोर के साथ उरुग्वे और पुर्तगाल शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक में शीर्ष पर हैं, इसके बाद लातविया (0.964) और जर्मनी (0.960) हैं।
- विदित हो कि मलेशिया (0.582), पाकिस्तान (0.554), ब्राजील (0.466), सोमालिया (0.436) और यूक्रेन (0.422) जैसे देशों ने भारत से बेहतर स्कोर प्राप्त किया है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक
- शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक का मूल्यांकन निम्नलििऽत आठ घटकों के आधार पर किया जाता है। सूचकांक में 0-1 के बीच स्कोर दिया गया है और 1 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बताता है।
- शोध और शिक्षा की स्वतंत्रता
- अकादमिक आदान प्रदान और प्रसार की स्वतंत्रता
- संस्थागत स्वायत्तता, परिसर अखण्डता
- शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक अभिव्यत्तिफ़ की स्वतंत्रता
- शैक्षणिक स्वतंत्रता की संवैधानिक सुरक्षा
- शैक्षणिक स्वतंत्रता के तहत अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धता
- आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धता
- विश्वविद्यालयों का अस्तित्व।
भारत के निम्न प्रदर्शन के कारण
- पिछले कुछ वर्षों में देश में छात्रों और शिक्षाविदों के खिलाफ शारीरिक हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त शैक्षिक संस्थानों में मौजूद विद्यार्थियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और अनुशासनात्मक कदम उठाए गए हैं।
- एएफआई के अनुसार रद्द किए गए सेमिनार और वार्ता, राजनीतिक रूप से पक्षपात नियुक्तियां, राजनीतिक भाषण के लिए छात्र नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करना, आदि ऐसे विषय हैं जिससे सुरक्षा बलों और शैक्षणिक परिसर के छात्र समूहों के बीच टकराव हुए हैं।
- अधिकांश नियुक्तियों, विशेष रूप से शीर्ष-पदों जैसे कुलपति, प्रो. कुलपति और कुलसचिव, का अत्यधिक राजनीतिकरण किया गया है। इस तरह की राजनीतिक नियुक्तियां न केवल अकादमिक और रचनात्मक स्वतंत्रता में बाधक बनती हैं, बल्कि भ्रष्ट आचरण को भी बढ़ावा देती हैं। इसके अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्तियों और छात्रों के प्रवेश में पक्षपात तथा भाई-भतीजावाद का बोलबाला है। यह शैक्षणिक परिसर के भीतर ‘किराया प्राप्त करने संस्कृति’ (Rent-Seeking Culture) को दर्शाता है।
- वर्तमान में, कई शैक्षणिक संस्थान और नियामक संस्थाएं, दोनों केंद्रीय और राज्य स्तरों पर, नौकरशाहों के नेतृत्व में हैं।
आगे की राह
- जानकारों का मानना है कि नई शिक्षा नीति, 2020 रचनात्मकता और महत्त्वपूर्ण
सोच के सिद्धांतों पर आधारित है तथा यह एक ऐसी शिक्षा प्रणाली को लागू करती है
जो राजनीतिक या बाहरी हस्तक्षेप से
मुक्त है। - राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने प्रशासन को बोर्ड को सौंपने के लिये शिक्षाविदों को शामिल करके स्वायत्तता देने की बात करता है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) का उद्देश्य भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के साथ सामंजस्य स्थापित करना और अपनी समस्याओं के समाधान को मजबूत बनाना है।
- डिजिटल इंडिया और महामारी के मौजूदा संकट की पहल एनईपी 2020 में विभिन्न
भाषाओं के डिजिटल लाइब्रेरी, डिजिटल कंटेंट, डिजिटल शिक्षाशास्त्र और कक्षाओं
की आवश्यकता और निर्माण के पीछे
मकसद रहा है।