आर्थिक हालात 2022-23: कोविड पूर्व स्थिति की पुनः प्राप्ति
- महामारी की वजह से दर्ज की गई गिरावट, रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रतिकूल असर और महंगाई से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में अब समस्त क्षेत्रों में उल्लेखनीय बेहतरी देखने को मिल रही है, जिससे यह वित्त वर्ष 2023 में महामारी पूर्व विकास पथ पर अग्रसर हो रही है।
- भारत में जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में भी अच्छी रहने की आशा है। वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि दर 6-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2015 से लेकर अब तक प्रथम छमाही में निजी खपत सर्वाधिक रही है और इससे उत्पादन संबंधी गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिला है जिससे समस्त क्षेत्रों में क्षमता उपयोग बढ़ गया है।
- केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय और अब कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट की अगुवाई में निजी पूंजीगत व्यय चालू वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में काफी मददगार साबित हो रहा है।
- एमएसएमई क्षेत्र के लिए कुल ऋणों में वृद्धि जनवरी-नवम्बर 2022 के दौरान औसतन 30.6 प्रतिशत से भी अधिक रही।
- खुदरा महंगाई नवम्बर 2022 में घटकर फिर से आरबीआई के लक्षित दायरे में आ गई है।
- भारतीय रुपये का प्रदर्शन अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी बेहतर रहा।
- प्रत्यक्ष कर संग्रह अप्रैल-नवम्बर 2022 के दौरान भी दमदार रहा।
- घटती शहरी बेरोजगारी दर और कर्मचारी भविष्य निधि में तेजी से हो रहे कुल पंजीकरण में बेहतर रोजगार सृजन नजर आ रहा है।
- सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मों के विस्तारीकरण और विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के उपायों से आर्थिक विकास की गति तेज हो जाएगी।
भारत का मध्यम अवधि का विकास दृष्टिकोणः उम्मीदों और उम्मीदों के साथ
- भारतीय अर्थव्यवस्था में व्यापक संरचनात्मक और शासन सुधार लागू किए गए, जिससे अर्थव्यवस्था के मूल तत्व मजबूत हुए हैं, वर्ष 2014-22 के दौरान इसकी समग्र दक्षता में वृद्धि हुई है।
- 2014 के बाद लागू किए गए सुधारों के परिणामस्वरूप सार्वजनिक वस्तुओं के निर्माण, विश्वास-आधारित शासन को अपनाने, विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ सह-साझेदारी और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के आधार पर जीवनयापन और व्यापार करने में आसानी पर विशेष जोर दिया गया।
- 2014-2022 की अवधि में भी पिछले वर्षों में क्रेडिट बूम और गंभीर वैश्विक झटके के कारण बैलेंस शीट पर दबाव देखा गया। इसके कारण, इस अवधि के दौरान ऋण वृद्धि, पूंजी निर्माण और इस प्रकार आर्थिक विकास जैसे प्रमुख व्यापक आर्थिक घटक गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
- यह स्थिति वास्तव में 1998-2002 की अवधि के समान ही है जब सरकार द्वारा लागू परिवर्तनकारी सुधारों के कारण अर्थव्यवस्था में अस्थायी झटकों के कारण विकास की गति धीमी हो गई थी। जब ये झटके थम गए, तो लागू किए गए संरचनात्मक सुधारों का व्यापक लाभ वर्ष 2003 से मिलना शुरू हुआ।
- इसी तरह साल 2022 में महामारी के वैश्विक झटकों का असर कम होगा और महंगाई कम होगी तो अगले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से काफी ऊपर उठेगी।
- बैंकिंग, गैर-बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में स्वस्थ बैलेंस शीट के दम पर एक नया क्रेडिट चक्र अभी शुरू हुआ है, जो पिछले महीनों के दौरान बैंक क्रेडिट में दर्ज दो अंकों की वृद्धि दर से स्पष्ट है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था भी अधिक औपचारिकता, वित्तीय समावेशन की पीठ पर बढ़ी हुई दक्षता और डिजिटल प्रौद्योगिकी संचालित आर्थिक सुधारों द्वारा बनाए गए आर्थिक अवसरों से लाभान्वित होने लगी है।
- इस प्रकार, आर्थिक सर्वेक्षण के अध्याय 2 से पता चलता है कि भारत का विकास दृष्टिकोण अब महामारी से पहले के वर्षों की तुलना में बेहतर दिख रहा है और भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में अपनी पूरी क्षमता तक बढ़ने के लिए तैयार है।