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Brain-booster / 13 Jan 2023

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: डीपफेक टेक्नोलॉजी (Deepfake Technology)

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चर्चा में क्यों?

  • चीन का साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन और साइबर स्पेस वॉचडॉग, नए नियमों को लागू कर रहा है, जो 10 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे। नए नियमों के माध्यम से डीप सिंथेसिस तकनीक के उपयोग को प्रतिबंधित किया जा सकेगा और दुष्प्रचार पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

डीप सिंथेसिसः

  • डीप सिंथेसिस को आभासी दृश्य बनाने के लिए टेक्स्ट, चित्र, ऑडियो और वीडियो उत्पन्न करने के लिए फीप लर्निंग और संवर्धित वास्तविकता सहित प्रौद्योगिकियों के उपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है।

डीपफेकः

  • डीपफेक मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम के साथ कृत्रिम छवियों और ऑडियो का संकलन है।
  • यह डीप सिंथेसिस का एक अनुप्रयोग है, जहां सिंथेटिक मीडिया का उपयोग एक व्यक्ति के चेहरे या आवाज को दूसरे व्यक्ति से बदलने के लिए किया जाता है।
  • इसका इस्तेमाल सेलेब्रिटी के अश्लील वीडियो बनाने, फर्जी खबरें बनाने और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग गलत सूचना फैलाने और एक वास्तविक व्यक्ति की उपस्थिति, आवाज, या दोनों को कृत्रिम समानता या आवाज से बदलने के लिए किया जाता है।

शब्दः

  • डीपफेक शब्द की शुरुआत 2017 में हुई थी, जब एक अज्ञात Reddit उपयोगकर्ता ने खुद को ‘डीपफेक’ कहा था।
  • इस उपयोगकर्ता ने अश्लील वीडियो बनाने और पोस्ट करने के लिए गूगल की ओपन-सोर्स, डीप-लर्निंग तकनीक में हेरफेर किया।

डीपफेक पर अंकुश लगाने के लिए चीन की नई नीतिः

  • नीति के अंतर्गत डीप सिंथेसिस सेवा प्रदाताओं और उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि तकनीक का उपयोग करने वाली किसी भी छेड़छाड़ की गई सामग्री को स्पष्ट रूप से लेबल किया गया है और उसके स्रोत का पता लगाया जा सकता है।
  • डीप सिंथेसिस सेवा प्रदाताओं को स्थानीय कानूनों का पालन करना होगा, नैतिकता का सम्मान करना होगा, और सही राजनीतिक दिशा और सही जनमत अभिविन्यास बनाए रखना होगा।

क्रियान्वयन की आवश्यकताः

  • चीन के साइबर स्पेस वॉचडॉग ने कहा कि यह चिंतित था कि अनियंत्रित विकास और डीप सिंथेसिस के उपयोग से ऑनलाइन घोटाले या मानहानि जैसी आपराधिक गतिविधियों में इसका उपयोग हो सकता है।

अन्य देशों द्वारा पहलः

  • यूरोपीय संघ के संशोधित कोड में गूगल, मेटा और ट्विटर सहित तकनीकी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर डीपफेक और फेक एकाउंट्स का मुकाबला करने के उपाय करने की आवश्यकता है।
  • गैर-अनुपालन पाए जाने पर, इन कंपनियों को अपने वार्षिक वैश्विक कारोबार के 6% तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
  • डीपफेक तकनीक का मुकाबला करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) की सहायता के लिए अमेरिका ने डीपफेक टास्क फोर्स एक्ट पेश किया।
  • इन उपायों के द्वारा डीएचएस को डीपफेक का वार्षिक अध्ययन करने का निर्देश है इसके अंतर्गत इस्तेमाल की गई तकनीक का आकलन करना, विदेशी और घरेलू संस्थाओं द्वारा इसके उपयोग को ट्रैक करना और इससे निपटने के लिए उपलब्ध प्रतिउपायों का विश्लेषण शामिल है।

भारत द्वारा पहलः

  • भारत में डीपफेक तकनीक का उपयोग करने के खिलाफ कोई कानूनी नियम नहीं हैं।
  • तकनीक के दुरुपयोग के विरूद्ध विशिष्ट कानूनों का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें कॉपीराइट उल्लंघन, मानहानि और साइबर अपराध शामिल हैं।