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विषय (Topic): कोविड-19: अंडमान की दुर्लभ जनजाति पर खतरा (COVID-19 and Great Andamanese Tribe)
चर्चा का कारण
- भारत में अंडमान द्वीप समूह के एक टापू पर रहने वाली दुर्लभ जनजाति के कुछ सदस्य कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। ग्रेट अंडमानीज जनजाति के चार सदस्यों में संक्रमण हुआ है।
- अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्वी हिस्से में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 2985 मामले दर्ज किए गए हैं। इन में से 41 लोगों की जान भी गई है। यहां पहला मामला जून के शुरुआत में दर्ज किया गया था।
प्रमुख बिन्दु
- अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह पर निवासरत एक संकटग्रस्त आदिवासी कबीले के 10 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। यह कबीला ‘पर्टीकुलर्ली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप’ (PVTG) में आता है।
- गौरतलब है कि विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे इस ग्रेट अंडमानी जनजाति कबीले के मात्र 53 सदस्य ही दुनिया में जीवित हैं। ऐसे में कोरोना संकट के इस दौर में भारत सरकार के लिए इनके अस्तित्व को बचाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- पर्टीकुलर्ली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप (PVTG) में ऐसे आदिवासियों को रखा गया है जिनकी संख्या बेहद कम होती है। वह बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग रहते हैं। इनकी न तो कोई लििखत भाषा होती है और न ही आम इंसान के जैसा रहन-सहन। पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित इन समूहों का विकास दर भी बेहद कम होता है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इस प्रकार के पांच आदिवासी कबीला निवासरत है।
कैसे पहुंचा यहाँ कोरोना
- जानकारों का मानना है कि स्वास्थ्य और इमरजेंसी अधिकारियों का एक दल, कुछ दिन पहले स्ट्रेट आइलैंड (कबीले का निवास) पर पहुंच गया था, जिस दौरान इस कबीले ने उनका काफी सहयोग भी किया था। वहीं कबीले के कुछ लोग पोर्ट ब्लेयर भी जाते रहते हैं। आशंका है कि इसी दौरान कबीले का कोई सदस्य संक्रमित हुआ हो।
ग्रेट अंडमानीज कौन हैं?
- अंडमान द्वीप समूह पाँच विलुप्त होने की कगार पर खड़ी जनजातियों का घर है। ये हैं- जरावा, नॉर्थ सेंटीनेलीज, ग्रेट अंडमानीज, ओंग और शोम्पेन।
- इनमें जरावा और नॉर्थ सेंटीनेलीज जनजातियाँ, आम लोगों के संपर्क में नहीं आई हैं- नॉर्थ सेंटीनेलीज तो बाहर के लोगों के प्रति काफी आक्रामक हैं। इसीलिए उनके द्वीप पर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है।
- मूल रूप से, ग्रेट अंडमानी दस अलग-अलग जनजातियां थीं, जिनमें जेरू (Jeru), बी (Bea), बो (Bo), खोरा (Khora), और पोकीवर (Pokiwar) शामिल हैं। इन लोगों की अपनी अलग भाषा है। 1788 में जब अंग्रेजों ने पहली बार द्वीपों का उपनिवेश बनाने की कोशिश की तो पाया कि ग्रेट अंडमानी की जनसंख्या 5,000 से 8,000 के बीच है।
- हालांकि जनजाति के कई सदस्य अपने क्षेत्रें की रक्षा के लिए अंग्रेजों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। बाद में, कई को उपनिवेशवादियों द्वारा लाए गए महामारी ने मिटा दिया गया, जैसे कि खसरा, सिफलिस और इन्फ्रलूएंजा इत्यादि।
- मानव विज्ञानी (Anthropologists) ग्रेट अंडमानी को नेग्रिटो जनजातियों (Negrito tribe) के हिस्से के रूप में वर्गीकृत करते हैं जो दक्षिणपूर्व एशिया और अंडमान द्वीप समूह के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं।
- ग्रेट अंडमानी लोगों की घटती आबादी में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में पर्यावरणीय ‘गड़बड़ी’ (Environmental disturbances) के साथ शहरवासियों के संपर्क के परिणामस्वरूप छूत की बीमारियाँ (Contagious diseases) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इन लोगों में शराब, तम्बाकू और अफीम के व्यसनों के परिणाम स्वरूप उच्च मृत्यु दर देखी गयी है।
आगे की राह
- पूरी दुनिया इस समय तरह तरह की चिकित्सकीय प्रक्रिया से गुजर रही है। ऐसे में आदिवासी कल्याण समिति व सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। इसके अतिरिक्त सरकार को इन जनजातियों की सामूहिक टेस्टिंग पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए साथ ही संक्रमण बाकी द्वीपों की जनजातियों तक न फैले इसके लिए ठोस कार्यवाही करने की आवश्यकता है।