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विषय (Topic): भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक - CAG) (Comptroller and Auditor General)
चर्चा का कारण
- हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को भारत के 14वें नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में नियुक्त किया गया है।
पृष्ठभूमि
- सर्वप्रथम इस पद पर 1860 में एडवर्ड ड्रमंड को पहले ऑडिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया। कुछ समय बाद भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक को भारत सरकार का लेखा परीक्षक और महालेखाकार कहा जाने लगा।
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत इसे वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया और सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया।
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 के द्वारा संघीय ढांचे में प्रांतीय लेखा परीक्षकों का प्रावधान किया गया।
- वर्ष 1936 के लेखा और लेखा परीक्षक आदेश ने महालेखा परीक्षक के उत्तरदायित्वों और कार्यों का प्रावधान किया।
- आजादी के बाद इस पद को संवैधानिक पद के रूप में स्थापित किया गया और आज यह हमारे संविधान के तहत एक स्वतंत्र प्राधिकरण है।
CAG
- भारत के संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अध्याय 5 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र पद का प्रावधान किया गया है।
- ये भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के प्रमुख होते हैं। ये सार्वजनिक धन के संरक्षक है और केंद्र तथा राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करते हैं।
- इनका कर्तव्य भारत के संविधान एवं संसद के कानून के अंतर्गत वित्तीय प्रशासन को बनाए रखना है।
- डा- अम्बेडकर ने कैग को भारतीय संविधान का सबसे अहम् प्राधिकारी बताया था।
कैग के कर्तव्य एवं शक्तियां
- अनुच्छेद-149 से 151 के तहत कैग के कर्तव्यों और शक्तियों का उल्लेख किया गया है।
- संविधान के अनुच्छेद 149 में बताया गया है कि कैग के कर्तव्यों और शक्तियों को संसद तय करेगा। इसका काम केंद्र, राज्य सरकार और सरकारी संगठनों के सभी खर्चों का ऑडिट करना है यानी हर उस संस्था का ऑडिट जिसमें जनता का पैसा लगा होता है।
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारत की संचित निधि, प्रत्येक राज्य की संचित निधि तथा प्रत्येक संघ शासित प्रदेश, जहाँ विधान सभा हो, से सभी व्यय संबंधी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।
- वह भारत की संचित निधि और भारत के लोक लेखा सहित प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि तथा लोक लेखा से सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है।
- कैग ऑडिट के तहत आने वाले किसी कार्यालय या संगठन और इसके सभी लेन-देनों की जांच कर सकता है, रिकार्ड, पेपर या दस्तावेज मांग सकता है। साथ ही सम्बंधित कार्यकारी से प्रश्न भी पूँछ सकता है।
- ऑडिट की सीमा और स्वरूप कैसा हो कैग इस पर भी निर्णय ले सकता है।
कैग ऑडिट को दो भागों में बांटा गया है
- रेग्युलेरिटी ऑडिटः रेग्युलेरिटी ऑडिट में फाइनेंसियल स्टेटमेंट का ऐनालिसिस किया जाता है और देखा जाता है कि उसमें सभी नियम-कानून का पालन किया गया है या नहीं। इसे कम्पलायंस ऑडिट भी कहते हैं।
- परफॉर्मेंस ऑडिटः परफॉर्मेंस ऑडिट में कैग यह पता करता है कि क्या सरकारी प्रोग्राम शुरू करने का जो मकसद था, वह कम से कम खर्च में सही तरीके से हासिल हो पाया है या नहीं।
CAG और लोक लेखा समिति (PAC)
- CAG, संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee - PAC) के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक के रूप में कार्य करता है।
- CAG अपने अधिदेशित विनियामक और लेखा परीक्षा दायित्वों के अतिरिक्त कार्यकारिणी द्वारा लोक वित्त के समुचित व्यय किये जाने की भी निगरानी करता है।
निष्कर्ष
- भारत में CAG की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा अपने पसंद के व्यक्ति के रूप में की जाती है जबकि विश्व में ऐसा नहीं है। समीक्षकों का मानना है कि कैग की नियुक्ति मुख्य सतकर्ता आयुक्त की तरह होना चाहिए।
- सरकारी धन और भ्रष्टाचार के कई आरोपों के न रूकने से यह कहा जा रहा है कि कैग को अपने ऑडिट तंत्र में बदलाव करना चाहिए।
- कई बार सरकारी संगठनों के पास किसी कार्यक्रम पर होने वाले खर्च को लेकर बेहतर विचार होता है जिसके साथ कैग को तालमेल का प्रयास करना चाहिए।