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Brain-booster / 14 Sep 2023

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: चंद्रयान-3 (Chandrayan-3)

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चर्चा में क्यों?

  • 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत दक्षिणी चंद्र ध्रुव के निकट सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बन गया है।

महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ

  • चंद्रयान-3 का मून लैंडर जिस स्थान पर उतरा, उसे अब ‘शिव शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा।
  • जिस स्थान पर चंद्रयान 2 ने अपने पदचिह्न छोड़े थे उसे अब ‘तिरंगा’ कहा जाएगा।
  • 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का महत्व

  • चंद्रमा पर अधिकांश लैंडिंग चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में हुई, क्योंकि पर्याप्त धूप और समतल जमीन के कारण यहां का भूभाग और वातावरण अनुकूल है।
  • चीन का चांग-4, यद्यपि चंद्रमा के दूर वाले हिस्से पर उतरा, (अर्थात चंद्रमा का वह हिस्सा जो पृथ्वी के सामने नहीं है), फिर भी वह चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्र के पास था।
  • ऊबड़-खाबड़ इलाके, बड़े गड्ढों की मौजूदगी और अत्यधिक तापमान के कारण चंद्र ध्रुवों को अन्वेषण हेतु कठिन माना जाता है।
  • ऐसे सबूत मिले हैं (चंद्रयान-1 द्वारा), कि चंद्र ध्रुवों के इन क्षेत्रों के गहरे गड्ढों में बर्फ की मौजूदगी हो सकती है।
  • समय के साथ जमे रहने के कारण, यह क्षेत्र प्रारंभिक सौर मंडल के लिए प्रमुख अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।

सॉफ्ट लैंडिंग के चार चरण

  • रफ ब्रेकिंग चरणः इसमें चंद्र सतह से 30 किमी की ऊंचाई पर लैंडर के क्षैतिज वेग को 1.68 किमी/सेकंड से घटाकर लगभग शून्य करना शामिल है।
  • एटीट्यूड होल्ड चरणः यह सतह से 7.42 किमी की ऊंचाई पर शुरू होता है, जो लगभग 10 सेकंड तक चलता है। 3.48 किमी की दूरी तय करते समय लैंडर को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर स्थिति की ओर झुकना होता है।
  • फाइन ब्रेकिंग चरणः यह चरण लगभग 175 सेकंड का होता है। लैंडर पूरी तरह से ऊर्ध्वाधर स्थिति में आ जाता है और लैंडिंग स्थल पर अंतिम 28.52 किमी की दूरी तय कर चुका होता है। ऊंचाई घटकर 800-1,000 मीटर रह जाती हैं और लैंडर 0 मीटर/सेकेंड की नाममात्र गति तक पहुंच जाता है।
  • टर्मिनल डीसेंटः यह अंतिम चरण है, इसके अंतर्गत अंतरिक्ष यान को सतह पर पूरी तरह से लंबवत उतरना होता है।
  • चंद्रयान -2 एटीट्यूड होल्ड चरण और फाइन ब्रेकिंग चरण के बीच विफल हुआ था।

चुनौतियाँ

  • चंद्रमा के कम सघन एवं हलके वातावरण के कारण घर्षण कम होता है और अंतरिक्ष यान को धीमा करने के लिए प्रणोदन प्रणाली की आवश्यकता होती है।
  • इस हेतु अंतरिक्ष यान को बहुत अधिक ईंधन की आवश्यकता होती है, जो यान के भार को और बढ़ा देता हैं।
  • लैंडिंग स्थान के संदर्भ में कोई सटीकता नहीं रहती और अंतरिक्ष यान को नेविगेशन हेतु कंप्यूटर गणना और निर्णय पर निर्भर रहना पड़ता है।

आगे की राह

  • यदि चंद्रयान-3 इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान कर पाता है, तो इसरो के अग्रणी कार्य के आधार पर भविष्य के अंतरिक्ष यात्री, इन क्षेत्रों से नमूने एकत्र करने में सक्षम होंगे।
  • इसका डीप अंतरिक्ष अन्वेषण और अंततः व्यावसायिक गतिविधियों के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।