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Brain-booster / 16 Nov 2022

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: C-295 विमान (C-295 Aircraft)

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चर्चा में क्यों?

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा में C-295 परिवहन विमान के निर्माण संयंत्र की आधारशिला रखी। यह पहली बार है जब C-295 विमान का निर्माण यूरोप के बाहर किया जाएगा।

उत्पादक

  • यूरोपीय विमानन प्रमुख एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL), टाटा की रक्षा शाखा, गुजरात के वड़ोदरा में भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए C-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगी।

C-295 परिवहन विमान समझौते के बारे में

  • सितंबर 2021 में, भारत ने वायु सेना के पुराने एवरो-748 विमानों को बदलने के लिए 56 C-295 परिवहन विमानों की खरीद के लिए एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष के साथ लगभग ₹21,000 करोड़ के सौदे को एक परियोजना के तहत, एक डील पर हस्ताक्षर किया था जिसमें भारत में सैन्य विमानों का निर्माण भी शामिल था।
  • समझौते के तहत, एयरबस चार साल के भीतर सेविले (स्पेन) में अपनी अंतिम असेंबली लाइन से ‘फ्लाई-अवे’ स्थिति में पहले 16 विमान हस्तानांतरित होंगे और बाद के 40 विमानों का निर्माण तथा संयोजन भारत में TASL द्वारा दो फर्मों के बीच औद्योगिक साझेदारी के रूप में किया जाएगा।

C-295 विमान की विशेषताएं

  • C-295 मेगावाट समकालीन तकनीक के साथ 5-10 टन क्षमता का परिवहन विमान है।
  • इसमें त्वरित प्रतिक्रिया और सैनिकों तथा कार्गो के पैरा-ड्रॉपिंग के लिए एक रियर रैंप दरवाजा है।
  • इसे स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा।

समझौते के लाभ

  • यह परियोजना भारतीय वायुसेना की रसद क्षमताओं को मजबूत करेगी।
  • यह परियोजना भारतीय निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी गहन और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
  • यह परियोजना घरेलू विमानन निर्माण में वृद्धि करेगी जिसके परिणामस्वरूप आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी।
  • यह आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप है।
  • यह परियोजना भारतीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी।

निष्कर्ष

  • रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्त्वपूर्ण है। भारत वर्तमान में अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिकांश रक्षा उत्पादों का आयात करता है। रक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी विदेशी उत्पादकों को विभिन्न भारतीय व्यवसायों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह रणनीतिक सहयोग, भारत के रक्षा क्षेत्र में उत्पादकों के लिए कई अवसर पैदा करेगा।