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12 Sep 2023
यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति (National Deep Tech Startup Policy)
चर्चा में क्यों?
- सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने हाल ही में सार्वजनिक
विवेचना के लिए राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति (एनडीटीएसपी) का एक मसौदा पेश
किया है।
नीति के बारे में मुख्य बिंदु
- इस नीति का उद्देश्य सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और
अंतरिक्ष तकनीक जैसे क्षेत्रों में ‘वैश्विक डीप टेक्नोलॉजी मूल्य शृंखला में
भारत की स्थिति सुनिश्चित करना’ है।
- इसके अंतर्गत विभिन्न नए नीतिगत उपाय शामिल किये जायेंगे एवं आवश्यक नीतिगत
बदलाव हेतु सुझाव भी हैं जैसेः
- अनुसंधान, विकास एवं नवाचार को बढ़ावा देना
- बौद्धिक संपदा व्यवस्था को मजबूत करना
- फंडिंग को सुगम बनाना
- साझा बुनियादी ढांचे और संसाधन साझाकरण को सक्षम करना
- अनुकूल विनियम, मानक और प्रमाणन बनाना
- मानव संसाधनों को आकर्षित करना और क्षमता निर्माण
- खरीद और एडॉप्शन को बढ़ावा देना
- नीति और कार्यक्रम अंतर्संबंध सुनिश्चित करना
- डीप टेक स्टार्टअप को सशक्त रखना
डीपटेक के बारे में
- डीपटेक का उदाहरण एआई, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी आदि द्वारा दिया
जा सकता हैं, यह मशीनों को डेटा से सीखने और निर्णय लेने की अनुमति देने के लिए,
जटिल एल्गोरिदम और मॉडल पर कार्य करता हैं।
- डीपटेक स्टार्टअप शुरुआती चरण के उत्पादों को विकसित करने पर ध्यान
केंद्रित करते हैं जो वैज्ञानिक या इंजीनियरिंग नवाचारों पर आधारित हैं लेकिन
अभी तक किसी भी व्यावसायिक उपयोग के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं।
विशेषताएँ और इसकी आवश्यकता
- उन्नत एनालिटिक्स, एआई/एमएल, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और ब्लॉकचेन सहित
उभरती डीप टेक्नोलॉजीज की एक से ज्यादा उपयोगिताएं हैं।
- उदाहरण, जीपीएस जैसी पोजीशन नेविगेशन टाइमिंग तकनीक गूगल मैप्स और उबर के
लिए आवश्यक है, लेकिन फाइटर जेट नेविगेशन और मिसाइल सिस्टम के लिए भी
महत्वपूर्ण है।
- डीपटेक भविष्य के उद्योगों के लिए आधार बन सकता है जिनकी भारत जैसे उभरते
बाजारों को जरूरत है।
- डीपटेक, देशों के प्रमुख टेक्निकल बैटलग्राउंड अर्थात सेमीकंडक्टर, 5जी,
जीव विज्ञान, युद्ध, स्वास्थ्य आपात स्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के लिए
महत्वपूर्ण और संवेदनशील हैं। संभावित भविष्य के प्रभावों के लिए भारत को निम्न
में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है।
चुनौतियाँ
- निवेश और लंबी अवधिः यह न केवल जटिल है बल्कि परिपक्व होने में बहुत अधिक
समय लेता है। इससे निवेशक अनाकर्षित हो जाते हैं क्योंकि रिटर्न प्राप्त करने
की अवधि अत्यधिक है।
- प्रतिभा की कमी और उपलब्ध प्रतिभा के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धाः भारतीय आबादी
में स्नातक स्तर पर STEM का प्रतिशत अधिक है, लेकिन पीएचडी स्तर पर STEM विषयों
की कमी है।
- सरकारी निवेश की कमीः अमेरिका, इजराइल और अन्य नाटो देशों में, सरकार अभी
भी डीप टेक के लिए धन का सबसे बड़ा स्रोत है। इस संबंध में भारत अभी भी शुरुआती
चरण में है।
आगे की राह
- गहन, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में निवेश करना देश के लिए आत्मनिर्भर और
शक्तिशाली भारत की महत्वाकांक्षा हेतु पहला कदम है।
- भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र द्वारा अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों को
अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, उन्नत डीपटेक और एआई-संबंधित
प्रौद्योगिकियों की मांग में घरेलू स्तर पर भारी वृद्धि देखी जाएगी।
- डीप टेक और एआई में कौशल के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार को विशेष
प्रयास करने और मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी।