यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): ब्लू फ्रलैग प्रमाणपत्र (Blue Flag Programme)
चर्चा का कारण
- हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा पहली बार भारत के आठ सागर तटों की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल ब्लू फ्रलैग प्रमाणपत्र के लिए सिफारिश की गई है।
ब्लू फ्रलैग प्रमाणीकरण
- ब्लू फ्रलैग कार्यक्रम का संचालन अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन, फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंटल एजुकेशन (The Foundation for Environmental Education–FEE) द्वारा किया जाता है। यह कार्यक्रम सागर तटों तथा मरीनों (उंतपदें) के रख रखाव और साफ सफाई के लिए किया जाता है।
- इंटरनेशनल कोस्टल क्लीन-अप डे दिवस 1986 से दुनिया के करीब 100 देशों में मनाया जाता है। ब्लू फ्रलैग सर्टिफिकेट डेनमार्क की एक संस्था द्वारा दिया जाता है।
प्रमुख बिन्दु
- ब्लू फ्रलैग सागर तट विश्व के सबसे स्वच्छ सागर तट माने जाते हैं। ये आठ सागर तट हैं-गुजरात का शिवराजपुर तट, दमण एवं दीव का घोघला तट, कर्नाटक का कासरगोड बीच और पदुबिरदी बीच, केरल का कप्पड बीच, आंध्र प्रदेश का रुषिकोंडा बीच, ओडिशा का गोल्डन बीच और अंडमान निकोबार का राधानगर बीच।
- सरकार देश भर के सागर तटों को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। तटवर्ती इलाकों के स्वच्छ सागर तट स्वच्छ पर्यावरण के प्रमाण हैं। समुद्री कचरा और तेल के बिखरने से समुद्री जीव जंतुओं का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और भारत सरकार सागर तटवर्ती इलाकों के सतत विकास के लिए महती प्रयास कर रही है।
- एकीकृत तटीय प्रबंधन SICOM और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रलय ने तटवर्ती इलाकों के सतत विकास के उद्देश्य से तैयार अपनी नीतियों को आगे बढ़ने के लक्ष्य को तेकर अपने समन्वित तटीय प्रबंधन परियोजना (आईसीजेडएम) के अंतर्गत एक उच्च गुणवत्ता वाला कार्यक्रम बीम्स (तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा) शुरू किया है।
- यह परियोजना आईसीजेडएम की कई अन्य परियोजनाओं में से एक परियोजना है जिसे भारत सरकार तटवर्ती इलाकों के सतत विकास के लिए लागू कर रही है ताकि वैश्विक रूप से मान्य प्रतिष्ठित ईको लेबल ब्लू फ्रलैग को हासिल किया जा सके।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय ने समग्र तटवर्ती क्षेत्र प्रबंधन के माध्यम से तटवर्ती क्षेत्र और सागर की ईको व्यवस्था की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक समग्र तटीय प्रबंधन व्यवस्था शुरू की है जिसमें वह अपने सीकॉम विंग के माध्यम से एक परस्पर संपर्क, गतिशीलता, बहु अनुशासन और पुनरावृत्तिमूलक प्रक्रिया से तटीय इलाकों के सतत विकास और प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना (ICZM)
- आईसीजेडएम (ICZM) की परिकल्पना 1992 में रियो दि जनेरियो में हुए पृथ्वी सम्मेलन के दौरान पेश की गई थी अब विश्व के लगभग सभी तटवर्ती देश अपने तटों के प्रबंधन का काम आईसीजेडएम के सिद्धांतों के अनुसार करते हैं। अतः अपने तटीय क्षेत्र के प्रबंधन और सतत विकास के लिए आईसीजेडएम के सिद्धांतों के पालन से भारत को इस अंतरराष्ट्रीय समझौते के प्रति व्यक्त प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद मिलती है।
- तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (Beach Environment and Aesthetics Management Services-BEAMS) कार्यक्रम का उद्देश्य तटवर्ती क्षेत्र के जल को प्रदूषित होने से बचाना, तटों पर समस्त सुविधाओं का सतत विकास, तटीय ईको व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण करने के साथ साथ स्थानीय प्रशासन और अन्य भागीदारों को बीच की स्वच्छता और वहां आने वालों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का तटीय पर्यावरण और नियमों के अनुसार पालन सुनिश्चित करने को प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्रकृति के साथ पूर्ण तादात्म्य बनाकर तटीय मनोरंजन का विकास करना है।