चर्चा में क्यों?
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त, 2023 को लोकसभा में भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पेश किया। विधेयक को गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा गया है। यह विधेयक भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेगा।
साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड की स्वीकार्यता
- अधिनियम दो प्रकार के साक्ष्य की व्यवस्था देता हैः
- दस्तावेजी (डॉक्यूमेंटरी)
- मौखिक (ओरल) साक्ष्य
दस्तावेजी प्रमाण
- दस्तावेजी साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की इनफॉरमेशन शामिल होती है जो कंप्यूटर के जरिए ऑप्टिकल या मैगनेटिक मीडिया में प्रिंट या स्टोर की गई हो।
- ऐसी इनफॉरमेशन कंप्यूटर या विभिन्न कंप्यूटरों के कॉम्बिनेशन में स्टोर या प्रोसेस की जा सकती है।
- विधेयक में प्रावधान है कि इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगा।
- यह सेमीकंडक्टर मेमोरी या किसी कम्युनिकेशन डिवाइस में संग्रहीत इनफॉरमेशन को शामिल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का दायरा बढ़ाता है।
- इसमें ईमेल, सर्वर लॉग, स्मार्टफोन, स्थानीय साक्ष्य और वॉयस मेल के रिकॉर्ड भी शामिल होंगे।
मौखिक साक्ष्य
- एक्ट के तहत, मौखिक साक्ष्य में जांच के तहत किसी तथ्य के संबंध में गवाहों द्वारा न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान शामिल हैं।
- विधेयक इलेक्ट्रॉनिक रूप से दी गई किसी भी जानकारी को मौखिक साक्ष्य के रूप में मानने के लिए व्यवस्था देता है।
द्वितीयक साक्ष्य
- अधिनियम के तहत, दस्तावेजी साक्ष्य में प्राथमिक और द्वितीयक साक्ष्य शामिल हैं।
- प्राथमिक साक्ष्य में मूल दस्तावेज और उसके हिस्से, जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल हैं।
- द्वितीयक साक्ष्य में ऐसे दस्तावेज शामिल होते हैं जो मूल की सामग्री को साबित कर सकते हैं।
- द्वितीयक साक्ष्य में मूल दस्तावेजों की कुछ प्रतियां और दस्तावेज की सामग्री के मौखिक विवरण शामिल हैं।
- विधेयक निम्नलिखित को शामिल करने के लिए द्वितीयक साक्ष्य का विस्तार करता हैः
- मौखिक और लिखित स्वीकरोक्ति (एडमिशंस)।
- उस व्यक्ति की गवाही जिसने दस्तावेज की जांच की है और दस्तावेजों की जांच में कुशल है।
- विधेयक में कहा गया है कि यदि दस्तावेज की वास्तविकता पर संदेह है तो द्वितीयक साक्ष्य की आवश्यकता हो सकती है।
दस्तावेजों को प्रस्तुत करना
- अधिनियम दस्तावेजों को प्रस्तुत करने का प्रावधान करता है।
- यदि किसी गवाह को कोई दस्तावेज पेश करने के लिए बुलाया जाता है और वह उनके कब्जे या अधिकार में है, तो उन्हें इसके प्रस्तुति या स्वीकार्यता पर किसी भी आपत्ति की परवाह किए बिना अदालत में लाना होगा।
- न्यायालय ऐसे दस्तावेज की वैधता निर्धारित करेगा।
संयुक्त सुनवाई
- संयुक्त सुनवाई से तात्पर्य एक ही अपराध के लिए एक से अधिक व्यक्तियों पर मुकदमा।
- अधिनियम में कहा गया है कि संयुक्त मुकदमे में, यदि किसी एक आरोपी का कबूलनामा जो दूसरे आरोपी को भी प्रभावित करता है, साबित हो जाता है तो इसे दोनों के खिलाफ कबूलनामा माना जाएगा।