1. योजना के बारे में
सागरमाला की अवधारणा को 25 मार्च 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, भारत की 7,500 किलोमीटर की तटरेऽा, 14,500 किलोमीटर के संभावित नौगम्य जलमार्ग और समुद्री क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) तैयार की गई है। जिसे प्रधानमंत्री द्वारा 14 अप्रैल, 2016 को मैरीटाइम इंडिया समिट 2016 में जारी किया गया था।
2. सागरमाला के घटक
- बंदरगाह आधुनिकीकरण और नए बंदरगाह विकासः मौजूदा बंदरगाहों की बाधाओं को दूर करना और क्षमता विस्तार और नए ग्रीनफील्ड बंदरगाहों का विकास।
- बंदरगाह कनेक्टिविटी संवनः घरेलू जलमार्गों सहित मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स समाधानों के माध्यम से बंदरगाहों की भीतरी इलाकों तक कनेक्टिविटी बढ़ाना, कार्गाे आवाजाही की लागत और समय को अनुकूलित करना।
- पोर्ट-लिंक्ड औद्योगीकरणः म्ग्प्ड और घरेलू कार्गाे की रसद लागत और समय को कम करने के लिए बंदरगाह-निकट औद्योगिक समूहों और तटीय आर्थिक क्षेत्रें का विकास करना।
- तटीय सामुदायिक विकासः कौशल विकास और आजीविका सृजन गतिविधियों, मत्स्य पालन विकास, तटीय पर्यटन आदि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत विकास को बढ़ावा देना।
- तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहनः टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल तटीय और अंतर्देशीय जलमार्ग मोड के माध्यम से कार्गाे को स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
3. भारत में पोर्ट-आधारित विकास की आवश्यकता
- भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और बंदरगाह देश के समग्र आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- भारतीय बंदरगाहों को अगले स्तर पर पहुंचने से पहले अभी भी ढांचागत और परिचालन चुनौतियों का समाधान करना होगा।
- बंदरगाहों तक अंतिम मील कनेक्टिविटी भीतरी इलाकों से माल की सुचारू आवाजाही में प्रमुऽ बाधाओं में से एक है।
- कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और स्टील जैसी औद्योगिक वस्तुओं की आवाजाही को तटीय और अंतर्देशीय जलमार्गों पर स्थानांतरित करके महत्वपूर्ण बचत हासिल की जा सकती है।
- बंदरगाहों की तुलना में उद्योगों / विनिर्माण केंद्रों का स्थान एक
महत्वपूर्ण पहलू है।
परिवहन का साधन परिवहन लागत (रुपये/टन-किमी)
सड़क- 2-0-3-0
रेल -1-2-1-5
जलमार्ग- 1-1-1-2
पाइपलाइन -0-1-0-5
4. विजन
- सागरमाला कार्यक्रम का लक्ष्य न्यूनतम बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ म्ग्प्ड और घरेलू व्यापार के लिए लॉजिस्टिक लागत को कम करना है। इसमें शामिल हैः
- मॉडल मिश्रण को अनुकूलित करके घरेलू कार्गाे के परिवहन की लागत को कम करना।
- भविष्य की औद्योगिक क्षमताओं को तट के पास स्थापित करके थोक वस्तुओं की रसद लागत को कम करना।
- बंदरगाह के समीप अलग-अलग विनिर्माण क्लस्टर विकसित करके निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना।
- म्ग्प्ड कंटेनर संचलन के समय/लागत को अनुकूलित करना।
5. संस्थागत ढांचा
- सागरमाला कार्यक्रम को लागू करने के लिए संस्थागत ढांचा केंद्र सरकार के लिए एक समन्वय भूमिका बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसका उद्देश्य केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को ‘सहकारी संघवाद’ के स्थापित सिद्धांतो के तहत मिलकर काम करने और समन्वय करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
- निकायों में शामिल हैंः
» राष्ट्रीय सागरमाला अपैक्स समिति
» सागरमाला समन्वय एवं संचालन समिति
» राज्य सागरमाला समिति