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Brain-booster / 02 Mar 2021

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021 (Arbitration and Conciliation (Amendment) Bill, 2021)

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यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021 (Arbitration and Conciliation (Amendment) Bill, 2021)

मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021 (Arbitration and Conciliation (Amendment) Bill, 2021)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में लोकसभा ने मध्यस्थता और सुलह संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी है। विधेयक फ्लाई-बाय-नाइट ऑपरेटरों द्वारा किए जाने वाले धोखाधड़ी से बचाव करता है, जो कानून का दुरुपयोग करते हैं।

प्रमुख बिन्दु

  • मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021 में संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने में उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने और भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है।
  • यह आर्बिट्रेशन और कंसीलिएशन एक्ट, 1996 में संशोधन करता है। एक्ट में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन से संबंधित प्रावधान हैं और यह सुलह प्रक्रिया को संचालित करने से संबंधित कानून को स्पष्ट करता है।
  • 1996 के एक्ट में विभिन्न पक्षों को इस बात की अनुमति दी गई है कि वे आर्बिट्रेशन संबंधी किसी फैसले (आर्बिट्रेशन अवार्ड यानी आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया में दिए गया कोई आदेश) के निवारण (सेटिंग असाइड) के लिए आवेदन दे सकते हैं। अदालतों ने इस प्रावधान की व्याख्या इस तरह की कि अदालत के समक्ष जैसे ही निवारण के लिए कोई आवेदन रखा जाता है, उसी क्षण आर्बिट्रेशन के फैसले पर ऑटोमैटिक स्टे लग जाएगा।
  • 2015 में इस एक्ट में संशोधन किया गया और कहा गया कि आर्बिट्रेशन संबंधी किसी फैसले पर सिर्फ इस वजह से स्टे नहीं लगाया जाएगा, क्योंकि उसके निवारण के लिए अदालत में कोई आवेदन दायर किया गया है।

मध्यस्थों की योग्यता

  • एक्ट एक अलग अनुसूची में आर्बिट्रेटर्स की कुछ क्वालिफिकेशंस, अनुभव और एक्रेडेशन के नियमों को निर्दिष्ट करता है। अनुसूची के अंतर्गत शर्तों में कहा गया है कि आर्बिट्रेटर को (i) 1961 के एडवोकेट्स एक्ट के अंतर्गत वकील होना चाहिए और उसे 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए, या (ii) उसे इंडियन लीगल सर्विस का एक अधिकारी होना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त आर्बिट्रेटर पर लागू सामान्य नियमों में यह भी शामिल है कि उन्हें भारतीय संविधान का जानकार होना चाहिए। बिल में इस अनुसूची को हटा दिया गया है और कहा गया है कि आर्बिट्रेटर्स की क्वालिफिकेशन, अनुभव और एक्रेडेशन के नियमों को रेगुलेशंस द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा।

सरकार की मंशा

  • सरकार के अनुसार भारत को भ्रष्ट तरीके से प्राप्त किये गए पंचाट (अवार्ड) का केंद्र नहीं बनने दिया जा सकता है । विधेयक के अनुसार यदि पुरस्कार भ्रष्टाचार के आधार पर दिया जा रहा है तो अदालत मध्यस्थता कानून की धारा 34 के तहत की गई अपील पर अंतिम फैसला आने तक इस पुरस्कार पर बिना शर्त रोक लगा सकती है।
  • इस विधेयक के कानून बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय निवेशक और कारोबारियों के लिए अपने-अपने मामलों के निपटारे के लिहाज से भारत पसंदीदा जगह बनेगा।
  • विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविदा या माध्यस्थम पंचाट सुनिश्चित करने में भ्रष्ट आचरणों के मुद्दे को पता लगाने के उद्देश्य से यह सुनिश्चित करने की जरूरत महसूस की गई थी कि सभी पक्षकार दलों को माध्यस्थम पंचाटों के प्रवर्तन पर शर्त रहित रोक का अवसर वहां मिले जहां अंतर्निहित माध्यस्थम समझौता या करार या माध्यस्थम पंचाट बनाना कपट या भ्रष्टाचार से प्रेरित है।
  • इसमें कहा गया है कि प्रतिष्ठित मध्यस्थों को आकर्षित करके भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक माध्यस्थम केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिये अधिनियम की आठवीं अनुसूची को खत्म करना आवश्यक समझा गया।