चर्चा में क्यों?
- नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ जी-20 समूह का 21वां सदस्य बना। अफ्रीकी संघ के शामिल होने से ग्लोबल साउथ के मुद्दे और प्राथमिकताएं विश्व पटल पर आ पाएंगी।
अफ्रीकी संघ के बारे में
- अफ्रीकी संघ (एयू) को आधिकारिक तौर पर जुलाई 2002 में डरबन, दक्षिण अफ्रीका में लॉन्च किया गया था। यह अफ्रीकी एकता संगठन (OAU: Organisation of African Unity) का उत्तराधिकारी था, जिसे शुरुआत में 1963 में स्थापित किया गया था।
विजन
- एक एकीकृत, समृद्ध और शांतिपूर्ण अफ्रीका, जो अपने नागरिकों द्वारा संचालित हो और वैश्विक क्षेत्र में एक प्रगतिशील शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
उद्देश्य
- अफ्रीकी देशों और उनके लोगों के बीच अधिक एकता और एकजुटता हासिल करना।
- अपने सदस्य राज्यों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा करना।
- महाद्वीप के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक एकीकरण में तेजी लाना।
- महाद्वीप और उसके लोगों के हित के मुद्दों पर अफ्रीकी साझा हितों को बढ़ावा देना और उनका समर्थन करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- महाद्वीप की शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देना।
- लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थानों, लोकप्रिय भागीदारी और सुशासन को बढ़ावा देना।
- आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तरों पर सतत विकास के साथ-साथ अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण को बढ़ावा देना।
- अफ्रीकी लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए मानव गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
- सभी क्षेत्रों, विशेषकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देकर महाद्वीप के विकास को आगे बढ़ाना।
- निर्णय लेने में महिलाओं की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना, विशेषकर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों में।
एयू की इच्छा और भारत की प्रतिक्रिया
- एयू ने जी-20 में स्थायी सदस्यता पाने के लिए 2022 में औपचारिक रूप से भारत से संपर्क किया।
- फरवरी 2023 में एयू शिखर सम्मेलन के दौरान इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था।
- बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में, भारत ने अफ्रीकी इच्छा का पूरी तरह से समर्थन करके एक साहसिक कदम उठाया।
- भारत का यह कदम अफ्रीकी एकता संगठन की 60वीं वर्षगांठ के दौरान आया, जो अफ्रीकी प्रतिनिधित्व को दिए गये लगातार समर्थन को प्रकट करता है।
समावेशन का प्रभाव
- यह समावेशी दृष्टिकोण विकास संबंधी प्राथमिकताओं को सबसे आगे रखकर जी-20 को नया आकार देने का वादा करता है।
- यह जी-7 और चीन से ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आ“वान करता है।
- भारत के प्रतिनिधित्व ने विविधता और सहयोग को अपनाने के लिए एक मिसाल कायम की है, जो स्वाहिली शब्द ‘हरमबी’ जिसका अर्थ है- कार्य में विकासात्मक सहयोग की भावना, में सन्निहित है।