चर्चा में क्यों?
- विद्युत मंत्रालय एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से मिशन ऑन एडवांस्ड एंड हाई-इम्पैक्ट रिसर्च (एमएएचआईआर) शुरू किया है ताकि विद्युत क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों की शीघ्रता से पहचान की जा सके और उन्हें भारत एवं विदेशों में बड़े पैमाने पर उपयोग हेतु स्वदेशी रूप से विकसित किया जा सके।
मिशन के उद्देश्य
मिशन के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और भविष्य की प्रासंगिकता के क्षेत्रों की पहचान करना और प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को प्रारंभ करना।
- सामूहिक विचार-मंथन, सहक्रियात्मक प्रौद्योगिकी विकास और प्रौद्योगिकी के सुचारू हस्तांतरण के लिए कार्यप्रणाली तैयार करने हेतु विद्युत क्षेत्र के हितधारकों के लिए एक सामान्य मंच प्रदान करना।
- स्वदेशी प्रौद्योगिकियों (विशेष रूप से भारतीय स्टार्ट-अप द्वारा विकसित) की पायलट परियोजनाओं को सहयोग देना और उनके व्यावसायीकरण की सुविधा प्रदान करना।
- उन्नत प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में तेजी लाने के लिए विदेशी अनुबंध और साझेदारी का लाभ उठाने के लिए, द्विपक्षीय या बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से दक्षताओं, क्षमताओं और उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बनाने के लिए ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना।
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को प्रारम्भ करना, उनका विकास करना तथा देश के विद्युत क्षेत्र में जीवंत और नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
- विद्युत प्रणाली से संबंधित प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों के विकास में हमारे देश को अग्रणी देशों में शामिल करना।
अनुदान
- मिशन को विद्युत् मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के वित्तीय संसाधनों को पूल करके वित्त पोषित किया जाएगा।
- किसी भी अतिरिक्त धन की आवश्यकता भारत सरकार के बजटीय संसाधनों से जुटाई जाएगी।
अनुसंधान के लिए चिन्हित क्षेत्र
प्रारंभ में अनुसंधान के लिए निम्नलिखित आठ क्षेत्रों की पहचान की गई हैः
- लिथियम-आयन स्टोरेज बैटरी के विकल्प
- भारतीय खाना पकाने के तरीकों के अनुरूप इलेक्ट्रिक कुकर/पैन को संशोधित करना
- गतिशीलता के लिए ग्रीन हाइड्रोजन (उच्च दक्षता ईंधन सेल)
- कार्बन अवशोषण
- भू-तापीय ऊर्जा
- ठोस अवस्था प्रशीतन
- ईवी बैटरी के लिए नैनो तकनीक
- स्वदेशी सीआरजीओ तकनीक
मिशन का दायरा
- मिशन के तहत, एक बार अनुसंधान क्षेत्रों की पहचान हो जाने के बाद, दुनिया भर की कंपनियों/संगठनों से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे।
- प्रस्ताव का चयन गुणवत्ता सह लागत आधारित चयन (QCBS) के आधार पर किया जाएगा।
- मंत्रालयों के संगठन चयनित अनुसंधान एजेंसी के साथ प्रौद्योगिकियों को साथ में विकसित भी कर सकते हैं।
- विकसित प्रौद्योगिकी का आईपीआर भारत सरकार और अनुसंधान एजेंसी द्वारा साझा किया जाएगा।
- मिशन भारतीय स्टार्ट-अप द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों की पायलट परियोजनाओं को भी वित्तपोषित करेगा और दोनों मंत्रालयों के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से उनके व्यावसायीकरण की सुविधा प्रदान करेगा।
- स्टार्ट-अप्स को भारत सरकार/केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान के साथ आईपीआर साझा करना होगा।
- मिशन जानकारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के सुचारू आदान-प्रदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा भी प्रदान करेगा।
- मिशन प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग का भी प्रयास करेगा।