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Brain-booster / 14 Nov 2022

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: डीएमएच-11 (DMH-11)

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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने बीज उत्पादन के लिए ट्रांसजेनिक हाइब्रिड सरसों डीएमएच-11 के ‘पर्यावरणीय रिलीज’ की सिफारिश की है। इसके अलावा मधुमक्खियों और अन्य परागणकों पर जीई सरसों के प्रभाव पर क्षेत्र परिणाम पर अध्ययन की अनुमति दी है।

धारा सरसों हाइब्रिड (डीएमएच-11) के बारे में

  • धारा सरसों हाइब्रिड-11 (डीएमएच-11) को 2002 में ट्रांसजेनिक तकनीक के माध्यम से दिल्ली विश्वविद्यालय के दीपक पेंटल द्वारा विकसित किया गया था।
  • यह हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) सरसों का आनुवंशिक तौर पर संशोधित रूप है।
  • नइसमें दो एलियन जीन (‘बार्नेज’ और ‘बारस्टार’) होते हैं जो बैसिलस एमाइलोलिफेशियन्स नामक मिट्टी के जीवाणु से आइसोलेट होते हैं जो उच्च उपज वाली वाणिज्यिक सरसों की संकर प्रजाति विकसित करने में सहायक है।
  • जीईएसी ने 2017 में डीएमएच-11के व्यावसायिक खेती प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इसे इनकार कर दिया था तथा सुझाव दिया कि जीईएसी को जीएम फसल पर और अधिक अध्ययन करना चाहिए।

डीएमएच-11 के सकारात्मक प्रभाव

  • यह खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान कर सकता है।
  • इसकी उपज अधिक है और इस प्रकार किसानों को उच्च आय प्रदान कर सकती है।
  • यह कीटनाशकों और शाकनाशियों के उपयोग को कम कर सकता है जो पर्यावरण की रक्षा कर सकता है।

डीएमएच-11 के नकारात्मक प्रभाव

  • यह मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक परिणाम पैदा कर सकता है।
  • यह किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अनुचित प्रथाओं के प्रति संवेदनशील बना सकता है।
  • यह पर्यावरण के आनुवंशिक संदूषण का कारण बन सकता है।

आगे क्या हो सकता है?

  • केंद्र सरकार इस पर अंतिम फैसला करेगी कि इसे व्यावसायिक खेती के लिए अनुमति दी जाए या नहीं।
  • डीएमएच-11 का वाणिज्यिक उपयोग बीज अधिनियम और संबंधित नियमों तथा विनियमों के अधीन होगा।

भारत में जीएम फसल

  • कपासः 2002 में जीईएसी ने आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे 6 राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिये BT कपास को मंजूरी दी। बीटी कपास जीईएसी द्वारा अनुमोदित पहली और एकमात्र ट्रांसजेनिक फसल है।
  • बैंगनः माहिको ने धारवाड़ कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय और तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त रूप से बीटी बैंगन विकसित किया।
  • जीईएसी ने वर्ष 2007 में बीटी बैंगन की व्यावसायिक रिलीज की सिफारिश की थी, लेकिन वर्ष 2010 में इस पहल को रोक दिया गया था।

निष्कर्ष

  • जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती से पहले स्वतंत्र पर्यावरणविदों द्वारा प्रभाव मूल्यांकन किया जाना चाहिये, क्योंकि किसान पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य पर GM फसलों के दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।