संदर्भ:
गोवा में स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं ने बंगाल की खाड़ी में लगभग 50,000 वर्ष पुराने एक विशाल चुंबकीय जीवाश्म का पता लगाया है। यह खोज इस प्रकार के जीवाश्मों में सबसे हाल के उदाहरणों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है ।
चुंबकीय जीवाश्म के बारे में:
- चुंबकीय जीवाश्म मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया द्वारा निर्मित चुंबकीय कणों के अवशेष होते हैं जो स्वयं को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के अनुसार संरेखित करते हैं।
- 1960 के दशक में पहली बार पहचाने गए, ये बैक्टीरिया ऑक्सीजन के स्तर में उतार-चढ़ाव के मध्य गमन के लिए मैग्नेटाइट या ग्रिगाइट जैसे लोहे से भरपूर छोटे क्रिस्टल बनाते हैं।
- चुंबकीय विश्लेषण और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी तकनीकों का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने विभिन्न आकृतियों (सुई, धुरी, गोली और भाला) के विशाल चुंबकीय जीवाश्मों की पहचान की।
- अवसाद का स्रोत नदी के निर्वहन से जुड़ा हुआ था, जो प्रतिक्रियाशील लोहे को लाता था, जो कम ऑक्सीजन की स्थिति में कार्बनिक कार्बन के साथ मिलकर मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया के प्रसार को सुगम बनाता था।
चुंबकीय जीवाश्मों की उपस्थिति बंगाल की खाड़ी में लंबे समय तक उप-ऑक्सीजन की स्थिति का संकेत देती है, जो बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुकूल है।